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सावधान: सायबर क्राईम की आशंका बच्चो को न दे अपना मोबाईल

मोबाईल की गेमिंग की दुनिया बच्चो की सेहत को है नुकसान
मोबाईल गेम की लत के हो रहे नौनिहाल शिकार

 आधुनिक ता के दौर में मोबाईल की आदत ने लोगो को मजबूर कर दिया है सुबह आंख खुलते ही मोबाईल पर हाथ जाता है और देर रात मोबाईल पर रहता सोता भी तो सिरहाने रखकर। बच्चो में भी मोबाईल पर गेम खेलने का शौक उनकी आदत बन गया है। हालात ये है कि मोबाईल पर गेम खेलने से रोकने पर बच्चे वायलेंस हो जाते या तनाव में आ जाते है।

 

कैलाश सेजकर

पहले हमारे जीवन में मोबाईल आवश्यकता की वस्तु हुआ करती थी। जिससे हम लोगो से बात और मेसेज कर लिया करते थे। मोबाईल में एन्ड्राईड और स्मार्ट फोन आ गए और इंटरनेट सस्ता हुआ तो मोबाईल की दुनिया बहुत बड़ी क्रांति आ गई।इसके साथ लोगो में दूरियां कम हो गई दे विदे में बातंे करना आसान है पल भर में हम किसी भी देके नागरिको से संपर्क कर लेते हैं। सोल मीडिया एप ने लोगो की काबिलियत को भी बाहर निकाल उनके टेंलेंट को प्लेटफार्म मिल गया हैं मोबाईल की इन नई टैक्नालाजी अनेक मुष्किले आसान हुई और लोगो की दुनिया अब मोबाईल की.पैड में सिमट गई। मोबाईल अब हमारी आवष्यकता नही मजबूरी बन गया है।

दे में मोबाईल गेमिंग कारोबार करीब 100 करोड़

आनलाईन गेमिंग का कारोबार वर्ष 2016 में करीब 29 करोड़ डालर था जो कि आज बड़कर 100 करोड़ को छूने वाला है। आने वाले 4 साल में यह इंडस्ट्री करीब 350 करोड़ की हो सकती है। लोगो में स्मार्ट फोन और इंटरनेट सेवा के सस्ते होने से भारत में गेमिंग कारोबार बहुत तेजी से बड़ा साथ एप्प डेवलेपिंग के कारोबार की भी चांदी रही। विगत वर्ष कोरोना के कारण लोग घर से बाहर नही निकले तो मोबाईल पर गेम ज्यादा खेले लोगो ने घरो में रहकर मोबाईल पर ज्यादा काम किया।

मोबाईल 

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गेम बना बच्चो का दुश्मन

कोरोना काल में स्कूल बंद रहे बच्चों को आनलाईन पढ़ाई कराई गई। जो कि महज एक से दो घंटे इसके बाद मोबाईल पर बच्चे गेम खेलते थे।शुरु में माता पिता को लगा कि ठीक है बच्चे घर में रहकर और क्या करे।उन्होने उन्हे टोका नही धीरे धीरे बच्चे रोज 2.3 घंटे गेम खेलते थे फिर देर रात तक बच्चे मोबाईल पर ही चिपके रहते है।स्थिति यह है कि मोबाईल पर गेम खेल रहे बच्चे इसके आदि हो जाते है। इस दौरान उन्हे कोई काम बोल दिया जाए तो सुनते नही बल्कि अत्याधिक क्रोधित हो जाते हैं। मोबाईल की लत से उनमें चिड़चिड़ापन याददाष्त कमजोर होना पढ़ाई से अरूचि होना आदि के लक्षण साफ नजर आते है।

मोबाईल गेम बना आत्महत्या का खेल

इन मोबाईल गेम पर खेलते समय कुछ लोग रुपयो की शर्त लगाते हैं ये कुछ लोगो का गु्रप होता हैं जो अन्य खिलाड़ी को फंसाने का काम करते है रुपयो की बैट लगाकर उससे रुपया वसूलने का दबाब बनाते हैं ये रुपये वसूली से खिलाड़ी के घर तक पहुंच जाते हैं।मानसिक दबाब में आकर कई युवा हारने के बाद रुपया कहां से देगें माता पिता से बोल भी नही पाते है और आत्महत्या कर लेते हैं।

मोबाईल गेम से सायबर क्राईम

मोबाईल गेम आनलाईन होकर खेला जाता हैं।इस पर मल्टीयूजर खेलते हैं एक साथ कई लोग गेम खेलते हैं जो आपस में एक दूसरे कनेक्ट रहते हैंे। गेम के दौरान चैटिंग मेसेंजर आदि भी सक्रिय रहते है।जिससे किसी भी प्रकार की लिंक शेयर की जा सकती है।जो लोग सायबर क्रिमनल होते है वो लोग जानते हैं कि इस गेम को अधिकतर बच्चे’किशोर और युवा खेलते हैं जो बात चैटिंग पर बात कर पता कर लेते हैं फिर गेम के दौरान मनी ट्रांसफर की लिंक शेयर करते हैं अब गेम में उलझे युवा  उसे क्लिक कर दे तो मोबाईल की डाटा सामने वाले यूजर के पास पहुंच जाती हैं।ऐसे और भी कई तरीके है जिनसे गेम के दौरान मोबाईल से डाटा चुरा लिया जाता हैं।जिसमें आपकी बैंक डिटेल ओटीपी एटीम कार्ड के नंबर आधार और पेन नंबर आदि की कापी उनके पास पहुंच सकती हैै।अगर ध्यान नही रखा था तो आपके बैंक एकाउंट खाली हो सकता हैं। सावधान रहिए अपना मोबाईल जिस पर बैंक डिटेल या ट्रांजेक्शन  करते हैं उसे बच्चो को कभी न दे।

चिकित्सा एक्सपर्ट भी कहते है

मोबाईल सिर्फ बात करने तक ही उचित है उस पर ज्यादा समय देने से अपचएयाददाष्त कमजोर होना ह्दयरोग बैचेनी घबराहट आदि लक्षण दिखाई देते है। ज्यादा देर मोबाईल के उपयोग से हाथो में झनझनाहट और पेरालसिस होने का भी खतरा हो सकता है।बच्चो की नाजुक उंगलियो पर मोबाईल रेडियेषन का खासा असर हो सकता है।हाथो में कमजोरी और उंगलियांे की कोषिकाएं जल सकती हैं उंगलियों में कमजोरी भी आ सकती है।हारने के बाद वह मानसिक दबाब में रहता हैं घर परिवार में किसी से बोल नही पाता वही लोग रुपयो के लिए धमकी अलग से देते है।