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हनुमानजी की मूर्ति उठा लाई पुलिस, छुड़ाने के लिए थाने की चौखट पर बैठकर रो रहा साधू

मकड़ाई समाचार मुरैना। हनुमान जयंती के दिन एक साधू ने छोटा सा कच्चा चबूतरा बनाकर भगवान बजरंग बली की मूर्ति रखी। यह साधू एक दिन इस खुले मंदिर पर पूजा-पाठ कर ही पाया, कि प्रशासन की टीम पहुंची और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का हवाला देकर हनुमानजी की मूर्ति को उठा लाए। यह मूर्ति बीते दो दिन से थाने में रखी हुई है और इस मूर्ति की पूजा करने वाला साधू थाने की चौखट पर बैठकर रो रहा है। यह साधू थाने में आने-जाने वाले हर खख्श से हाथ जोड़कर मूर्ति छुड़वाने की गुहार लगा रहा है।

यह मामला है, मुरैना शहर से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर स्थित सिलायथा गांव का। इस गांव में रघुनाथ बाबा नाम के एक साधू ने 16 अप्रैल शनिवार हनुमान जयंती के दिन पत्थरों का एक कच्चा चबूतरा बनाया। इसी चबूतरे पर करीब डेढ़ दो ऊंची हनुमानजी की मूर्ति रखी गई। दूसरे ही दिन यानी रविवार को कुछ ग्रामीणों ने शिकायत कर दी, कि कुछ बाहरी लोग सरकारी जगह पर कब्जा करने की नीयत से हनुमानजी की मूर्ति लगा रहे हैं, इस कारण गांव में विवाद हो सकता है। एक सरकारी भवन की बाउण्ड्री से सटकर बने 8 बाय 8 फीट के चबूतरे के कारण घिरी सरकारी जमीन को बचाने की चिंता हुई या फिर गांव में विवाद की संभावना। लेकिन इस शिकायत के बाद प्रशासन ऐसी हरकत में आया, कि रविवार की सुबह हनुमानजी की मूर्ति को चबूतरे से उठा लिया और सिविल लाइन थाने में आकर रखवा दिया। अब मंदिर का साधू रघुनाथ बाबा रविवार से ही थाने की चौखट पर बैठा है। आंखों में आंसू लेकर वह मूर्ति को थाने से वापस देने की गुहार लगा रहा है। पुलिस अफसर उसे मूर्ति वापस देने का भरोसा दिए जा रहे हैं।

और हाईकोर्ट के आदेश पर भी नहीं हट रहीं ये प्रतिमाएं

मुरैना जिले में प्रतिमाएं रखकर सरकारी जमीनों और निजी जमीनों पर कब्जा करने का खेल बीते तीन साल से चल रहा है। मुरैना के सुभाष नगर स्थित गोविंद गोशाला की निजी जमीन पर आंबेडकर व झलकारी बाई की प्रतिमाएं लगाकर करोड़ों रुपये कीमत की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है। इसी तरह जौरा तहसील के चैना गांव में खेल मैदान की जमीन पर आंबेडकर प्रतिमा रखकर कब्जा कर लिया गया। इन दोनों जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए ग्वालियर हाईकोर्ट आदेश दे चुका है, लेकिन मुरैना जिला प्रशासन जिस दमदारी से सिलायथा गांव से हनुमानजी की मूर्ति को उठाकर थाने ले आया, वैसा साहस आंबेडकर प्रतिमाओं को हटाने में नहीं दिखा पा रहा। पांच दिन पहले सबलगढ़ के बेरई गांव में नाले में आंबेडकर की प्रतिमा लगा दी गई, इसे हटाने पहुंची पुलिस व प्रशासन की टीम को पथराव कर खदेड़ दिया। इसके बाद प्रशासन दोबारा कार्रवाई का साहस नहीं दिखा पाया। सबलगढ़ के ही मांगरौल गांव में एक महीने पहले विवादित जमीन पर आंबेडकर प्रतिमा लगा दी गई, जिस कारण एक महीने से दो पक्षों में तनाव का माहौल है, यह कब बड़ा विवाद का कारण बन जाए कोई कुछ नहीं कह सकता। ऐसे करीब 14 उदाहरण हैं, जहां जबरन इसी तरह प्रतिमाएं रखकर निजी या सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया, पर प्रशासन इनमें से एक भी प्रतिमा नहीं हटा सका।

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वर्जन

– मेरे हनुमानजी की मूर्ति को पुलिस उठा लाई है। गांव के कुछ लोगों ने इसकी शिकायत कर दी, इसके बाद जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाकर मूर्ति उठा लाए। मेरी मूर्ति वापस दिला दीजिए, यहां उसकी पूजा भी नहीं हो रही।

रघुनाथ बाबा, सिलायथा गांव

– सिलायथा गांव में सरकारी जमीन पर कब्जा करने की नीयत से यह मूर्ति रखवाई गई है। कुछ लोगों ने इसकी शिकायत की थी, इसलिए मूर्ति को हटा दिया है। थाने में मूर्ति सुरक्षित रखी गई है। मूर्ति को पुजारी को जल्द ही दे देंगे।

प्रवीण चौहान थाना प्रभारी, सिविल लाइन