मकड़ाई एक्सप्रेस 24,धर्म कर्म | हिंदी भाषा में कई सम्मान सूचक शब्द है परंतु भारत में आम बोलचाल की भाषा में सबसे ज्यादा साहब शब्द का उपयोग किया जाता है। श्री रामचरितमानस में भी साहिब शब्द का उपयोग किया गया है और सिख धर्म में भी साहिब शब्द का उपयोग किया जाता है परंतु यह न तो हिंदी भाषा का शब्द लगता है और ना ही गुरुमुखी। सवाल यह है कि साहब शब्द कहां से आया। इसका साहिब से क्या कनेक्शन है और साहब शब्द का सही अर्थ क्या होता है।
हिंदी भाषा के विशेषज्ञ, शोधकर्ता एवं लेखक श्री अरविंद व्यास के अनुसार साहिब शब्द को इस प्रकार (षाहिब) लिखते हैं। हिंदी भाषा के उपयोगकर्ताओं को षाहिब जैसे शब्दों के उच्चारण की आदत नहीं है इसलिए भारतवर्ष में इसे साहिब कहा गया। यह मूल रूप से अरबी भाषा का शब्द है। प्राचीन भारत वर्ष में साहिब शब्द का अर्थ होता था ईश्वर के समकक्ष या भगवान के साथी। ननकाना साहिब, गुरु ग्रंथ साहिब यहां तक की श्री रामचरितमानस में भी (साहिब सीतानाथ सो सेवक तुलसी दास) साहिब शब्द का उपयोग किया गया है। यहां भगवान विष्णु के अवतार श्री राम के लिए तुलसीदास जी ने साहिब शब्द का उपयोग किया है।
भारत में अंग्रेजी सत्ता स्थापित होने के बाद एक निर्धारित रणनीति के तहत साहब शब्द का सरकारीकरण किया गया। भाषा के विशेषज्ञ आपत्ति ना करें इसलिए साहिब को साहब बना दिया गया। जिस प्रकार साहिब का अर्थ होता है भगवान के साथ ही उसी प्रकार साहब का अर्थ होता है सरकार के साथी अथवा प्रतिनिधि। यह इसलिए भी किया गया क्योंकि ऐसा करने से आम नागरिक आसानी से समझ पा रहे थे।
साहेब शब्द मूल रूप से साहब के खिलाफ रचा गया। जहां एक तरफ साहब सरकार का साथी और प्रतिनिधि होता था वहीं दूसरी तरफ साहेब जनता का साथी और प्रतिनिधि बताया गया। बालासाहेब ठाकरे, बाबासाहेब आंबेडकर।
अब तक स्पष्ट हो गया होगा कि साहिब और साहब शब्द में केवल एक मात्रा का अंतर नहीं है बल्कि दोनों शब्दों के बीच एक सोची समझी साजिश है। साहिब के सामने हर नागरिक श्रद्धा से सिर झुकाता है और साहब के सामने मजबूरी में सर झुकाना पड़ता है। जबकि साहेब के सामने सर झुकाना नहीं पड़ता बल्कि उनके साथ सर उठाकर खड़े रह जाता है।