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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष लेख योग: शरीर, मन और आत्मा का संयोग : डॉ. प्रगति जैन शिक्षाविद

पवन प्रजापत धार मनावर

योग साधना भारत की प्राचीन महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है। यह मानव जीवन के समग्र कल्याण में सहायक है। यह एक आध्यात्मिक, मानसिक एवं शारीरिक अभ्यास है जिसे सभी को जीवन में अपनाना चाहिए। वर्तमान की अंधाधुंध भागदौड़ वाले जीवन में योग अति महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से हम शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलित स्थापित कर आनंद, समृद्धि और शांति की अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं। बच्चा हो या बड़ा आज हर कोई तनावग्रस्त है। ऐसे में योग हमें अवसाद, चिंता और मानसिक तनाव से निजात दिलाने में मदद करता है । यह हमें सत्य और स्वयं की पहचान कराता है एवं जीवन में स्थिरता प्रदान कर सकारात्मकता की ओर प्रेरित करता है । यह हमें स्वयं में छुपी असीम संभावनाओं को ढूंढने में मददगार है।

स्वस्थ, सुखी व समृद्ध जीवन की प्राप्ति योग के माध्यम से ही संभव है। कहा जाता है – ‘मन सधे तो सब सधे’ अर्थात यदि मन पर नियंत्रण हो तो बाकी सभी स्थितियों व समस्याओं पर नियंत्रण पा सकते हैं। यह न केवल शारीरिक रोगों को दूर करता है वरन् एकाग्रता बढ़ाकर आत्मा के साथ गहरा संबंध बनाने की शक्ति भी प्रदान करता है। सभी को योग के महत्व को समझने व अपने जीवन में योग को शामिल करने का संकल्प लेना चाहिए। इसी के माध्यम से विश्व शांति स्थापित की जा सकती है। जिस देश में, जिस वेश में, जिस हाल में रहो, संकल्पित रहो, योग की शरणा में रहो।05:35 PM

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