हरदा : कृषि विभाग की डायग्नोस्टिक टीम ने शुक्रवार को ग्राम पोखरनी में भ्रमण कर फसल में कीट व्याधि का सर्विलियेन्स एवं निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सोयाबीन फसल में कीट एवं व्याधि का प्रकोप देखा गया। उपसंचालक कृषि श्री एम.पी.एस. चन्द्रावत ने बताया कि निरीक्षण के दौरान कीटों में प्रमुख रूप से सोयाबीन स्टेम फ्लाई एवं व्हाइट फ्लाई का संक्रमण पाया गया है। उन्होने बताया कि यह प्रकोप सोयाबीन की प्रजाति जे.एस. 9560 तथा निजी कम्पनियों की रिसर्ज प्रजातियां जैसे 2018, 2016 एवं ब्लेक गोल्ड आदि में पाया गया है। किसानों को तना मक्खी एवं पीला मोजेक रोजग प्रबन्धन के लिये बीटासायफ्लूथ्रीन एवं इमिडाक्लोप्रिड की 140 मिली प्रति एकड़ मात्रा अथवा एसिडामाप्रिड व बायफेथ्रिन की 100 ग्राम प्रति एकड़ मात्रा की दर से 100 से 120 लीटर पानी में घोल बनाकर पावर पम्प से स्प्रे करें। उपसंचालक श्री चन्द्रावत ने बताया कि फंफूदजनित रोग प्रबन्धन के लिये फंफूदनाशक टेबूकोनाजोल व सल्फर की 500 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ अथवा पायराक्लोस्ट्रोबीन व इपिक्साकोनेजोल की 30 मिली प्रति एकड़ की दर से पानी की वांछित मात्रा में घोल बनाकर घोल का 100 से 120 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। निरीक्षण के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी कि आगामी सोयाबीन फसल उत्पादन के लिये अनुशंसित एवं अद्यतन किस्मों का ही प्रयोग करें। डायग्नोस्टिक टीम में कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुकेश बंकोलिया, अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री संजय यादव, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री संजय जैन तथा क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री दीपक रिछारिया सम्मिलित थे।
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