बालाघाट : बैहर को जिला बनाने गांव-गांव में बैठक कर निर्णय लिया जा रहा है , जिला नहीं तो वोट नही । ) बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति की बैठक छत्तीसगढ़ से लगे ग्राम अचानकपूर में बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक सूरज ब्रम्हे की मुख्य आतिथ्य एवं बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष एफ. एस .कमलेश की अध्यक्षता में तथा ग्राम पंचायत के सरपंच विमल तिलासी , सालेटेकरी-दमोह जोन के अध्यक्ष देबी लाल पाँचे , प्रवक्ता हेमंत साहू , मनोज सय्याम महामंत्री के विशेष आतिथ्य में तथा 25 ग्राम पंचायत के जिम्मेदार ज़न प्रतिनिधियों की प्रमुख उपस्थिति में आयोजित की गई।
बैठक को संबोधित करते हुवे सूरज ब्रम्हे ने बैहर का इतिहास बताते हुवे कहा कि बैहर का नाम बीहडों ( जंगलों ) के नाम पर बैहर रखा गया है। बैहर को 1867 में तहसील बनाया गया है। जब बैहर को तहसील बनाया गया उस समय बैहर में थाना नही था हमारा थाना हुआ करता था मण्डला। 1867 के पूर्व हमारा जिला मंडला हुआ करता था। मंडला , भंडारा और सिवनी को काटकर बालाघाट को जिला बनाया गया था उस समय बालाघाट का नाम बाराहघाट था। 1911 में जब देश की राजधानी कलकत्ता हुआ करता था उस समय बाराहघाट नाम को संशोधित कर घाटों के नाम पर बालाघाट नाम रखने का प्रस्ताव भेजा गया और इस तरह बारहघाट का नाम संशोधित कर बालाघाट रखा गया।
श्री ब्रम्हे ने बैहर को जिला बनाने पर विस्तार से प्रकाश डालते हुवे कहा कि जब बैहर जिला बनेगा तभी क्षेत्र का विकास सम्भव है ।अध्यक्ष एफ.एस. कमलेश ने कहा कि यदि हमारे कपड़े गंदे और फट जाते है तो हम कपड़े बदल देते हैं, लेकिन हम इन विधायकों को नही बदल पा रहें हैं। जबकि ये किसी काम के नही हैं क्योंकि इन्होंने बैहर को जिला बनाने के लिए आज तक एक पत्र मुख्यमंत्री को नही लिखा है। जिस तरह हम गंदे कपड़ों को बदल देते हैं उसी तरह इनको भी फटे कपड़े की तरह बदल देना चाहिए। सभा को प्रवक्ता हेमंत साहू, महामंत्री मनोज सय्याम , सालेटेकरी जोन के अध्यक्ष देबी लाल पांचे, अचानकपूर के सरपंच विमल तिलासी एवं अन्य ज़न प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया बैठक में 25 ग्राम पंचायत के जिम्मेदार ज़न प्रतिनिधि उपस्थित थे। बैठक में 23 सितंबर को बैहर, बिरसा, परसवाडा, उकवा , गढ़ी , सम्पूर्ण क्षेत्र बन्द रखने का निर्णय लिया गया।