ब्रेकिंग
गाजा मे  Parle G का बिस्किट बिका 2300 रूपये में, एक पिता ने बेटी की भूख मिटाने के लिए पारले जी 2300 ... हरदा: नदियों के उदगमों को संरक्षित करें, इनमें होती है भरपूर ऊर्जा: मंत्री प्रहलाद पटेल हरदा: खनिज के अवैध परिवहन में शामिल 3 डम्पर जप्त राणापुर जनपद पंचायत के नवीन सीईओ होंगे बलवान सिंह मवासे पंचायतों में जल संरक्षण एवं पौधारोपण के कार्य कराएं पंच सरपंच!  सरपंच पंचायत की आय बढ़ाएं और गांव म... Handia news : ईद उल अजहा : हर्षोल्लास के साथ मनाई गई बकरीद, गले मिलकर दी बधाई! जलोदा: म.प्र.जन अभियान परिषद टिमरनी द्वारा मनाया गया ग्राम जलोदा मे बाबडी उत्सव, राजा जालंधर के द्वा... हरदा: उन्नत नस्ल दुधारू गाय हेतु पुरस्कार योजना के तहत पुरस्कार वितरण आज Aaj ka rashifal: आज दिनांक 7 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है। आपके भाग्य के सितारे हंडिया : खनिज के अवैध उत्खनन के मामले में 44.82 लाख रुपए का अर्थ दंड लगाने के आदेश जारी

Makar Sankranti: पृथ्‍वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने पर आधारित है मकर संक्रांति का पर्व – सारिका

देश भर में सूर्य की आराधना से जुड़ा पर्व दक्षिण में पोंगल, पूर्व मे बिहु तो मध्‍यभारत में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के वैज्ञानिक पक्ष की जानकारी देने नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने सूर्य का साइंस कार्यक्रम का आयोजन किया । सारिका ने बताया कि मान्‍यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्‍तरायण हो जाता है लेकिन वास्‍तव में अब ऐसा नहीं होता है । हजारो साल पहले मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्‍तरायण हुआ करता था । इसलिये यह बात अब तक प्रचलित है ।

सारिका ने बताया कि वैज्ञानिक रूप से सूर्य उत्‍तरायण 22 दिसम्‍बर को प्रात: 8 बजकर 57 मिनिट पर हो चुका है । उस समय सूर्य मकर रेखा पर था । इसके बाद दिन की अवधि बढ़ने लगी है ।

- Install Android App -

सारिका ने जानकारी दी कि संक्रांति का अर्थ सूर्य का एक तारामंडल से दूसरे तारामंडल में पहुंचने की घटना है । सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती पृथ्‍वी एक साल में 360 डिग्री घूमती है । इस दौरान पृथ्‍वी के आगे बढ़ने से सूर्य के पीछे दिखने वाला तारामंडल बदलता जाता है । जब सूर्य धनु तारामंडल छोड़कर मकर तारामंडल में प्रवेश करता दिखता है तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है । इस वर्ष मान्‍यता के अनुसार यह 15 जनवरी को होने जा रहा है ।

अभी से लगभग 1800-2000 वर्ष पूर्व मकर संक्रांति 22 दिसंबर के आसपास मानी जाती थी। उस समय संक्रांति और सूर्य उत्‍तरायण एक साथ होते थे। इसी गति और समय अन्तराल के बढ़ते क्रम के कारण यह संक्रांति अब 14-15 जनवरी तक आ गई है। लगभग 80 से 100 वर्ष में यह संक्रांति काल 1 दिन बढ़ जाता है। एक गणना के अनुसार एक साल में संक्रांति 9 मिनिट आगे बढ़ जाती है तथा 400 सालो में औसत रूप से 5.5 दिन आगे बढ़ जाती है ।

अत: सूर्य का उत्‍तरायण तो 22 दिसम्‍बर को चुका है लेकिन पतंग और तिल गुड़ की मान्‍यता के साथ सूर्य की महिमा को बताने वाले आगे बढ़ते मकर संक्रांति पर्व को सोमवार को मनाने पूरे उल्‍लास के साथ हो जाईये तैयार ।