जोधपुर/भोपाल: जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर और गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जोधपुर में संपन्न हुआ। “संसाधनों के प्रबंधन में मितव्ययता, पुनः उपयोग एवं पुनः चक्रण द्वारा जांभाणी दर्शनानुसार पर्यावरण संरक्षण” विषय पर आयोजित सेमिनार में देश के अलग-अलग राज्यों के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दुबई और अन्य स्थानों से भी पर्यावरण चिंतक व समाजसेवी शामिल हुए। मध्यप्रदेश से अकादमी के राष्ट्रीय संगठन सचिव पूनमचंद पंवार के नेतृत्व में बड़ी संख्या में समाजसेवी शामिल हुए, जिसमें अकादमी के सदस्य आर डी झूरिया व श्रीजी पंवार, एवं जी पी झूरिया, बीरबल कालीराणा, प्रेमनारायण पंवार, हरिशंकर पटेल, बलराज पंवार, महेश बेनीवाल, रामजीवन बेनीवाल, शिवनारायण झूरिया, ईश्वर स्याग, राजकुमार पंवार, नेमीचंद गोदारा, छोटू जी धनवानी वाले, सेवक दल के शांतिलाल सारन, विष्णु गोदारा, मुकेश कांवा शामिल हुए।
दो दिवसीय सेमिनार में वरिष्ठ संतो के आशीर्वाद मिलने के साथ ही, राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों के मंत्रीगण, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, कुलपति, जांभाणी साहित्य अकादमी की पूरी टीम, शिक्षण संस्थानों के संचालक, विभिन्न समाजों के अध्यक्ष, विभिन्न स्थानों से पधारे पर्यावरण चिंतक, शोधकर्ता, समाजसेवी, एनएसएस, एनसीसी तथा स्काउट गाइड के छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर गुरु जंभेश्वर भगवान द्वारा 550 वर्ष पूर्व दिए गए उपदेशों पर विस्तार से चर्चा की गई। वृक्षों की रक्षा की खातिर शहीद मां अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में 363 शहीदों ने अपना बलिदान दिया और वृक्षों की रक्षा की। पर्यावरण संरक्षण को लेकर विश्व में एकमात्र अनूठा बलिदान इतिहास में देखने को मिलता है। इतिहास में हुई इन घटनाओं से सीख लेते हुए वर्तमान परिदृश्य के अनुसार हमें किस तरह पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए हमारे भविष्य को सुरक्षित रखना है, इस पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।