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व्पापम, ई-टेंडरिंग के बाद अब इस घोटाले में फंसे शिवराज

ग्वालियर: व्यापम और ई-टेडरिंग के बाद शिवराज सरकार का अब एक नये घोटाले में फंसती नजर आ रही है, मामला ग्वालियर से है, जहां स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने चयन प्रक्रिया का नाटक कर 32 लोगों की बिना अनुमति ही भर्ती कर दी। इस बात के सामने आते ही विभाग में हड़कंप मच गया है। पी.एस ने जांच के आदेश दिए हैं, वही कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है और, भाजपा के चरित्र पर सवाल उठाए हैं।

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प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक ही हैं, एसे में शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना बंद नहीं हो रहे हैं, जो कि पार्टी के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है, प्रदेश में एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे है। चुनाव से पहले सामने आया यह ‘नर्स घोटाला’ शिवराज सरकार के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है।

बता दें कि 2015 में नर्सिंग भर्ती की की एक विज्ञप्ति जारी हुई थी। इसे आधार बनाकर जिनका चयन करना था, वे सीधे आवेदन ले लिए। नई विज्ञप्ति जारी ही नहीं की गई। इसके बाद मार्च 2018 में बैकडोर से भर्ती हुई, लेकिन इसके लिए ना तो कोई विज्ञप्ति जारी की गई और ना ही कोई आवेदन मंगवाए गए। यही नहीं, फाइल में 2015 की विज्ञप्ति का हवाला दिया गया है, जबकी चयन उनका किया गया है, जिनकी डिग्री 2017-18 की है। बड़ी बात तो यह है कि, बीते दो वर्षों में एन.एच.एम में कोई भर्ती नहीं हुई है। सूत्रों से पता चला है कि, भर्ती सी.एच.एम.ओ के द्वारा की गई है। लिखित प्रक्रिया से लेकर चयन प्रक्रिया तक केवल ड्रामा किया गया। यह सारा नाटक सी.एम.एच.ओ और बाबू के बीच हुआ। इसलिये उन्होंने मनमाने तरीके से उम्मीदवारों का चयन कर लिया। इस फर्जी प्रक्रिया के बाद नियुक्ति आदेश जारी कर के डीन आॅफिस में भेज दिया गया। फिर नर्सों को कमलाराजा अस्पताल के एस.सी.एन.यू में ज्वाॅइन करने के लिए कहा गया। इसके बाद मामला सामने आते ही प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं इससे संबंधित अधिकारी इस मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए।