मकड़ाई एक्सप्रेस 24 जबलपुर। प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले शहर मे बहुत सी जगह देखने के लिए इन्ही में रानी दुर्गावती किले के पास की ग्रेनाइट चट्टान को देखकर हर कोई हैरान हो जाता है। यह कई कुंटल की चट्टान अपने आकार और बैलेंस को लेकर इस समय इंटरनेट पर चर्चा का विषय बनी हुई है। इस रहस्य को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं और यहा सेल्फी लेते इसका फोटो वीडियो सोशल मिडिया पर शेयर करते है।
वैज्ञानिक भी हैरान है।
बेलेन्सिंग रॉक
इस रहस्यमयी अजूबे को विशेषज्ञों ने सुलझाने कि कोशिश की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक चट्टान के ऊपर दूसरी बैलेंसिंग चट्टान अपने गुरुत्वाकर्षण बल के कारण इतने समय से टिकी हुई है।
बैलेंसिंग रॉक के पास खड़े होकर देखने मात्र से लगता है कि अब यह गिरने वाली है। जबकि ये तेज बारिश, भूकंप और आंधी-तूफान इस ग्रेनाइट चट्टान को हिला नहीं पाया है।साल 1997 में 22 मई को 6.2 की तीव्रता से भूकंप आया था. भूकंप से भारी तबाही मचा गई थी। शहर कि इमारतें जमींदोज हो गए थी, लेकिन बैलेंसिंग रॉक को भूकम्प के झटकों से कोई फर्क नहीं पड़ा था।
लोगो के लिए आकर्षण का केंद्र
जबलपुर की बैलेंसिंग रॉक पर्यटन के लिए प्रकृति का नायब तोहफा है, इस प्राकृतिक धरोहर के दिवाने लोग देश-दुनिया के कौने से बड़ी संख्या में इसका दीदार करने आते हैं। ग्रेनाइट चट्टान कि चारों ओर से बाउंड्री बनाकर इस धरोहर को बचाए रखा गाया हैं. आँखों देखे इस नायब अजूबे के साथ सेल्फी लेना कोई पर्यटक नहीं भूलता हैं।
प्रकृति का अद्भुत तोहफा
जबलपुर शहर में रानी दुर्गावती के किले के पास ग्रेनाइट चट्टान विश्व में एशिया के तीन बैलेंस रॉक सिर्फ भारत में ही हैं। विशालकाय ग्रेनाइट चट्टान का इतने समय से बैलेंस करना अपने आप में ही दुर्लभ बात है।