भोपाल किसान आंदोलन: MSP की गारंटी और कर्जमाफी की मांग लेकर सड़कों पर उतरे हजारों किसान
भोपाल किसान आंदोलन: भोपाल की सड़कों पर सोमवार, 30 सितंबर को एक अलग ही नजारा देखने को मिला। राज्यभर से हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर नीलम पार्क में जुटे। किसानों की मांग साफ है—कर्जमाफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी। वे चाहते हैं कि सरकार फसलों की सही कीमत दे और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाए।
किसानों का आक्रोश और नारेबाजी
सुबह 11 बजे के करीब जब किसान राजधानी भोपाल में नीलम पार्क पहुंचे, तो माहौल में जोश था। उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों का कहना है कि सोयाबीन जैसी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है, और यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है। इस बार उन्होंने सीधे मांग रखी कि सोयाबीन पर 8000 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए।
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इस आंदोलन में शामिल प्रमुख किसान नेता और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम का कहना है कि किसानों की प्रमुख मांगों में से एक है C2+50% फार्मूले के आधार पर MSP की कानूनी गारंटी। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर किसानों को उनकी लागत से 50% ज्यादा मूल्य मिलना चाहिए। इसी के लिए किसान संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि सरकार उन्हें फसलों के सही दाम दिलाए।
किसान नेताओं का कहना है कि जब तक MSP पर कानूनी गारंटी नहीं मिलेगी, तब तक किसानों की आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा। वे चाहते हैं कि गेहूं, चना, मक्का जैसी फसलों के लिए भी सही MSP मिले, ताकि उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके।
किसानों की प्रमुख मांगें क्या हैं?
किसानों की मांग सिर्फ MSP तक सीमित नहीं है। वे संपूर्ण कर्जमाफी की भी मांग कर रहे हैं। डॉ. सुनीलम के अनुसार, किसानों के कर्ज को पूरी तरह माफ किया जाना चाहिए, ताकि वे बिना किसी आर्थिक दबाव के खेती कर सकें। इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाओं जैसे अतिवृष्टि से हुई फसल बर्बादी का मुआवजा देने की मांग भी इस आंदोलन का अहम हिस्सा है। किसानों का कहना है कि सरकारी सर्वे कराकर सही मुआवजा दिलवाया जाए और फसल बीमा का भुगतान भी समय पर हो।
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किसानों ने यह भी मांग की है कि अगर कोई किसान बिजली का करंट लगने, सर्पदंश या जानवरों के हमले से मरता है, तो उसके परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। साथ ही, वन अधिकार के तहत किसानों को दी गई जमीन पर उनका कब्जा दिलाने की भी मांग उठाई गई है।
आवारा पशुओं और जंगली जानवरों से फसल नुकसान का मुआवजा भी किसान चाहते हैं, जो उनकी लागत से डेढ़ गुना हो। इसके अलावा, गरीब परिवारों को पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत गेहूं, चावल के साथ दाल, शक्कर और केरोसिन भी दिया जाए, ताकि उनकी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी हो सकें।
यह आंदोलन शाम 4 बजे तक चला। इसके बाद किसानों ने प्रशासन को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, तो वे आगे भी आंदोलन जारी रखेंगे। किसानों का यह आंदोलन उनके संघर्ष और उनके हक की लड़ाई का हिस्सा है, जो तब तक खत्म नहीं होगी जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता।
कुल मिलाकर, यह आंदोलन किसानों के अधिकारों और उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए है।
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