Big News Mp: म.प्र. के बाहर की महिलाओ को प्रदेश में शादी के बाद भी नौकरी में नही मिल सकता आरक्षण – हाईकोर्ट
मकड़ाई एक्सप्रेस 24 जबलपुर : हाईकोर्ट ने एक आदेश में तय किया है कि अगर मध्य प्रदेश के बाहर रहने वाली एक आरक्षित महिला मध्य प्रदेश में शादी करती है, तो उसे नौकरी में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इस आदेश का पालन करते हुए एक मामले में राजस्थान मूल की निवासी महिला ने नीमच, मध्य प्रदेश, में शादी करने के बाद अपने प्राथमिक शिक्षा के भर्ती प्रक्रिया के दौरान ओबीसी वर्ग के आरक्षण का लाभ प्राप्त नहीं किया था, इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की थी।
इस मामले में फरियादी के वकील रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के बाहर की ओबीसी और एसी एसटी वर्ग की महिलाओं को आरक्षण के लाभ से वंचित करने वाले भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के नियमों से महिलाओं के हित में ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिस पर प्रशासनिक न्यायाधीश शील लागू और न्यायमूर्ति देव नारायण मिश्रा की युगलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक बेंच के फैसले के आधार पर नियम को वैधानिक ठहराया। कोर्ट ने राजस्थान की महिला अभ्यर्थी की याचिका खारिज कर दी। उस में बताया गया कि उसने नीमच में शादी की है, लेकिन उसे प्राथमिक शिक्षा भर्ती में ओबीसी वर्ग का लाभ नहीं मिला। उसके वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक शाह ने कहा कि वह प्राथमिक शिक्षक के लिए ओबीसी वर्ग में चयनित हुई थी। सरकार ने उसे ओबीसी का लाभ नहीं देने का कारण बताया कि वह राजस्थान की मूल निवासी है, इसलिए उसे मध्य प्रदेश में उसी वर्ग के आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है। आरक्षण सुविधा की पात्रता केवल प्रदेश के मूल निवासियों को ही होगी। भारत सरकार ने 1982 में आरक्षित वर्ग के व्यक्तियों के लिए जाति प्रमाण पत्र जारी करने की अधिसूचना जारी की थी | और बाद में 2018 में इसमें संशोधन किया गया। मध्य प्रदेश सरकार ने भी भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 2005 में आरक्षित वर्ग के व्यक्तियों के लिए जाति प्रमाण पत्र जारी करने की गाइड लाइन जारी की है | और उसमें व्यवस्था की गई है | कि आरक्षण सुविधा की पात्रता केवल प्रदेश के मूल निवासियों को ही होगी।
वकील ने यह भी दलील दी कि जाति, लिंग, भाषा, और जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव करना नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।