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पूर्व सीएमएचओ नागवंशी के फर्जी दस्तखत  होने की मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत !  वर्तमान सीएमएचओ सिंह टाल रहे हैं जांच, कार्यालय की मिलीभगत का आरोप !

हरदा ।  हरदा दूध डेयरी के निवासी इकबाल खान ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर हरदा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में हुई फर्जीवाड़े की शिकायत दर्ज कराई है।

आज जनसुनवाई में दिए आवेदन में इसका खुलासा हुआ है। इकबाल खान ने पूर्व में कई बार सीएमएचओ सिंह से इस शिकायत को लेकर मुलाकात की लेकिन वे जांच का बोलने के बाद भी  कार्रवाई कराने से बचते नज़र आये हैं।  आज जनसुनवाई में जब इकबाल कलेक्टर को शिकायत करने की बात कहते नजर आए तो सीएमएचओ सिंह ने उन्हें  वहां जाने से रोकते हुए कार्रवाई करने की बात कही।

देखना यह है कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर हुई इस शिकायत को लेकर विभाग क्या कार्रवाई करता है। कलेक्टर के आदेश की अवहेलना की शिकायत और कार्यालय स्टाफ की मिलीभगत की अब सीएमएचओ क्या जांच करते हैं।

■ क्या है मामला, क्या लिखा शिकायत में –

प्रति
श्रीमान कलेक्टर महोदय
जिला हरदा

विषय : मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में
सीएमएचओ के फर्जी हस्ताक्षर करने, कार्यालय में स्टाफ द्वारा फर्जीवाड़ा करने की शिकायत और सीएमएचओ सिंह द्वारा जांच के कोरे आश्वासन देने, जांच टालने बाबत।

महोदय जी,
मैं प्रार्थी इकबाल खान निवासी दूध डेयरी रहता हूँ। खबरों के माध्यम से एक फर्जीवाडे की जानकारी मुझे ज्ञात हुई थी। जनहित में एक आरटीआई लगाकर मैने स्वास्थ्य विभाग से संदीप बड़ोदिया नामक युवक द्वारा चश्मा दुकान खोलने की अनुमति का आवेदन और विभाग की अनुमति से सम्बंधित सब दस्तावेज मांगे थे।
जानकारी मिलने पर ज्ञात हुआ कि तत्समय कार्यालय द्वारा इन्हें कोई परमिशन नहीं दी गयी। ये विभाग ने लिखित रूप से पत्र दिया।  महोदय, आवेदक व अन्य लोगों ने फर्जीवाड़ा कर तत्कालीन सीएमएचओ के फर्जी दस्तखत कर आवेदन की फर्जी कॉपी पर सीएमएचओ के फर्जी दस्तखत करके अपने भाई की पुरानी दुकान  (माया ऑप्टिकल गणेश चौक पर ) पर आवेदन में परमिशन की टीप लिखे फर्जी पत्र को लगाकर कलेक्टर द्वारा कोरोनाकाल  में व्यवसाय प्रतिबंधित होने के बावजूद व्यवसाय कर आमजन की जान को जोखिम में डाला।
इस आशय के समाचार  तत्समय प्रसारित हुए।  अवलोकन कीजिये। दुकान पर लगे फ्रेमिंग आवेदन की प्रति जिसे अनुमति बनाकर कोरोनाकाल में कलेक्टर के आदेश की अवहेलना कर दुकान खोली।  कलेक्टर संजय गुप्ता द्वारा जांच के आदेश देने के बावजूद सीएमएचओ कार्यालय द्वारा कोई कार्रवाई न की गयी।

विभाग द्वारा दुकान वाले से मिलीभगत कर उसकी जांच को टाल कर लाभ उठाया गया।

इस मामले में सबसे रोचक तथ्य यह है कि केके नागवंशी जो तत्समय प्रभारी सीएमएचओ थे, उन्होंने स्वयम अपने दस्तखत व  परमिशन टीप को फर्जी करार दिया। मीडिया में प्रसारित खबर में उन्होंने जांच होने पर  अपने बयान दर्ज कराने की बात कही थी।

अब केके नागवंशी के हस्ताक्षर किसने और किसके कहने पर किये। इसमे क्या लेनदेन हुआ। फर्जी पत्र को दुकान पर लगाकर कलेक्टर के आदेश की अवहेलना करने वाले को क्यों बख्शा गया।  आवेदक संदीप और उसके भाई पर विभाग ने कार्रवाई क्यों नहीं की। स्वास्थ्य विभाग ने जांच में इतना समय लगाया कि आवेदक बड़ोदिया ने दुकान का स्वरूप बदलकर फ्रेमिंग आवेदन को गायब कर दिया। लेकिन मीडिया की खबर और तस्वीर में दुकान में लगा आवेदन स्पष्ट दिख रहा है। आदि कई अनुत्तरित सवाल हैं जिनके जवाब जांच से ही सामने आ सकते हैं।

मालूम हो, माया ऑप्टिकल द्वारा बिना अनुमति के बिना किसी डॉक्टर की मौजूदगी के गांव गांव नेत्र शिविर लगाए गए और अप्रशिक्षित कर्मचारी (एक कर्मचारी जो गैस टँकी का परिवहन करता है) ने डॉ बनकर ग्रामीणों की आंखों की जांच कर उन्हें परामर्श दवाई व चश्मे दिए। इस आशय की खबर मीडिया में प्रसारित हुई।

महोदय, मैं जनहित में इस फर्जीवाड़े की जांच करवाने और इसमे शामिल  दोषियों को सजा दिलाने की मांग करता हूँ। साथ ही कलेक्टर के आदेश की अवहेलना करने के मामले में जांच की मांग करता हूँ।

लंबे समय तक टालमटोली होने और विभाग द्वारा सुनवाई न होने पर मैंने मुख्यमंत्री ऑनलाइन पर भी इस शिकायत को दर्ज कराया है।

धन्यवाद।

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प्रार्थी

इकबाल खान

संलग्न – आरटीआई के दस्तावेज, मीडिया की खबरें, दुकान पर लगे फर्जी दस्तखत वाले आवेदन की प्रति

 

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