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अवधी बोली के प्रचार प्रसार में जुटे प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री महाराज

अयोध्या। भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था गुरुकुल को अंग्रेजों ने सबसे पहले समाप्त किया और उसकी जगह अंग्रेजी भाषा को थोप दिया। इससे हमारी मूल भाषा, बोली का प्रभाव कम होता जा रहा है। यह कहना है ज्योतिषाचार्य अतुल शास्त्री जी का। अवध में जन्मे शास्त्री जी अपनी मूल बोली अवधी को नई पहचान दिलाने और उसके प्रचार प्रसार के लिए मेहनत कर रहे हैं। शास्त्री जी आम जनमानस को जागरूक कर रहे हैं।

पंडित अतुल शास्त्री ने कहा कि हर भाषा बोली की अपनी पहचान एवं अस्मिता होती है। उनका संरक्षण किया जाना चाहिए। हिंदी को समाज एवं साहित्य में उत्कृष्ट स्थान दिलाने के लिए क्षेत्रीय बोलियों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए अवधी बोली को बढ़ावा देकर, हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर सकते हैं. ज्योतिष गुरु पंडित अतुल ने कहा कि मूल बोलियों के महत्व को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने पहल शुरू की है। इसके तहत विधायकों को अपनी स्थानीय बोली में समस्या उठाने का मौका दिया, इसके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए।

शास्त्री जी ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और यह सभी भाषाओं और बोलियों को एक दूसरे से जोड़ती है।

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अवधी भाषा भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अवधी बोली में साहित्य और कला के कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं, रामचरितमानस आज पूरे विश्व में पढ़ा जा रहा है और ऐसा ही सभी विधा को जन जन तक पहुंचाना जरूरी है।

गौरतलब है कि पंडित अतुल शास्त्री अवधी बोली के प्रचार प्रसार के लिये प्रसिद्ध कथाकार कौशलेंद्र महाराज के सानिध्य में अवध प्रान्त के साहित्य, मीडिया, कवि, खेल, यूट्यूबर सहित हर क्षेत्र की हस्तियों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।

इसी कड़ी में ममता संदीपन मिश्रा से पवन गोस्वामी सविता पेंटर लक्ष्मी वर्मा एस डी मिश्रा अनमोल पाण्डेय पीयूष पाण्डेय गुड़िया यादव सुनीता सिंह अविनाश सिंह बब्बू टाइग और बहुत लोगों से अतुल शास्त्री स्वयं मुलाकात कर रहे हैं। इसके तहत श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान अवधी बोली के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों का सम्मान किया जाएगा।