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Harda : आचार्य विद्या सागर महाराज की प्रेरणा से गंजाल नदी किनारे चल रही सबसे बड़ी गौशाला,भादूगांव में तीन दिन रुके थे आचार्य विद्या सागर महाराज,

हरदा। राष्ट्रीय संत आचार्य श्री विद्यासागर जी सागर महाराज आज ब्रह्मलीन में लीन हो गए। उनके महानिर्वाण की सूचना मिलते ही ग्राम भादुगाव गंजाल के ग्राम वासियों में शोक के साथ साथ आचार्य श्री के प्रवास की स्मृति ताज़ा हो गई। 11 जनवरी 1998 को विद्या सागर जी महाराज मुक्तागिरी जाते समय भादुगाव में प्रवास की इच्छा व्यक्त करते हुए आए और यहा तीन दिन प्रवास किया।

आचार्य श्री की प्रेरणा से ही ग्राम के नवनीत जैन परिवार ने यहां आचार्य श्री विद्यासागर गौशाला शुरू की गई।
जो मात्र 25 गौवंश से शुरू होकर 1500 गौवंश पर पहुंच गई। आचार्या श्री ने यहां वेदी स्थापना कराकर भव्य मंदिर की नीव रखी जिसमे भगवान महावीर की उत्तुंग प्रतिमा विराज मान है। राष्ट्रीय संत आचार्य श्री की तीन दिवसीय प्रवास के दौरान प्राप्त सानिध्य और अशिर्वाचनो को कभी भुला नहीं पाएगा।

पूर्व सरपंच श्री हेमेंद्र जैन ने आचार्य श्री के समाधि ले लेने पर अपनी संवेदना व्यक्त कर इसे मानव मात्र के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।

ब्रह्मलीन राष्ट्रीय संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज महाप्रयाण की सूचना आज समूचे विश्व को मिली । संत महंतो और ऋषि मुनियों की धरा भादू गांव भी खबर से अछूता नहीं रहा, आचार्य श्री ने मुक्तागिरि विहार करते समय ग्राम भादूगांव में प्रवास की इच्छा जताई और यहां 11 जनवरी सन 1998 में तीन दिवसीय प्रवास किया तथा महान संत ने समूचे ग्राम में अपनी अमिट प्रवास स्मृति छोड़ दी जो आज भी ग्राम के पार्श्व नाथ दिगंबर जैन मंदिर में सुरक्षित है। अचार्य श्री ने यहां वेदी स्थापना कराकर श्री हेमेंद्र जैन परिवार को गौशाला शुरू करने की प्रेरणा दी।

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नर्मदापुरम हरदा की सबसे बड़ी गौशाला,,

गौशाला 25 गौवंश से शुरू हुई और आज 1500 गौवंश के साथ बंदरखोह नामक स्थान पर 5 एकड़ भूमि में संचालित हो रही है।
श्री जैन ने कहा की महान संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को शत शत नमन। भादूगांव की धरा के हम समस्त ग्रामवासी  सौभाग्यशाली हैं जिन्हें अचार्य श्री ने अपने जीवन के तीन अमूल्य दिन दिए।

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