हरदा: भाजपा पार्षदों की क्रॉस वोटिंग से कांग्रेस को चौंकाने वाली जीत — बहुमत में होते हुए भी भाजपा की हार ने खोली अंतर्कलह की परतें
हरदा नगर पालिका परिषद के सभा कक्ष में आज सम्पन्न हुए जिला योजना समिति सदस्य के चुनाव में एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला। भाजपा पार्षदों द्वारा की गई क्रॉस वोटिंग के चलते कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी अहद ख़ान को अप्रत्याशित रूप से जीत हासिल हुई, जिसने पूरे जिले की राजनीतिक फिज़ा में हलचल पैदा कर दी है।
हरदा नगर पालिका में कुल 35 निर्वाचित पार्षद हैं — जिनमें भाजपा के 24, कांग्रेस के 10 और एक निर्दलीय पार्षद शामिल हैं। स्पष्ट बहुमत रखने के बावजूद भाजपा सिर्फ एक प्रत्याशी को ही जिताने में सफल हो सकी। कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी अहद ख़ान को 18 वोट प्राप्त हुए और वे विजयी घोषित हुए। वहीं भाजपा की ओर से रिना प्रजापति को 20 मत मिले और वे विजयी हुईं, जबकि भाजपा के मनोज महलवार को 17 वोट प्राप्त हुए और वे मात्र 1 वोट से पराजित हो गए।
इस चुनाव में प्रत्येक पार्षद को दो वोट देने का अधिकार था। 15 पार्षदों ने केवल एक-एक वोट डाला, जबकि 20 पार्षदों ने दोनों वोट डाले। कुल मिलाकर 70 की जगह सिर्फ 55 वोट डाले गए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि 8 भाजपा पार्षदों ने पार्टी लाइन से हटकर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को समर्थन दिया।
अहद ख़ान बोले
“मैं एक मुस्लिम प्रत्याशी था, और आज जब मुझे 18 पार्षदों का समर्थन मिला है, यह बताता है कि हरदा की राजनीति में आज भी सौहार्द और भाईचारे की गूंज है। इस समर्थन के लिए मैं सभी का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ। यह सिर्फ मेरी नहीं, हर उस आवाज़ की जीत है जो एकता, विकास और इंसाफ़ की बात करती है।”
नेता प्रतिपक्ष अमर रोचलानी :
“यह जीत कांग्रेस पार्षदों की एकजुटता और नीतिगत स्पष्टता की जीत है। साथ ही, भाजपा के भीतर बढ़ते असंतोष और शीर्ष नेतृत्व से मोहभंग का प्रमाण भी। हम उन सभी पार्षदों का दिल से धन्यवाद करते हैं जिन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वोपरि रखते हुए हमें समर्थन दिया। यह जीत एक नई राजनीतिक चेतना की शुरुआत है।”
यह घटनाक्रम न केवल हरदा नगर पालिका में भाजपा की आंतरिक स्थिति पर सवाल उठाता है, बल्कि आने वाले समय में जिले की राजनीति में संभावित बदलावों का संकेत भी देता है।
भाजपा को चाहिए कि वह आत्ममंथन करे और यह समझे कि बहुमत केवल संख्या नहीं, बल्कि विश्वास, नेतृत्व और अनुशासन का भी प्रतीक होना चाहिए।