हमारा देश साधु सन्तो की पवित्र भूमि है। यहा अनेकानेक देश विदेश सन्तो ने अपना मन रमाया है जो यहां आया यही का होकर रह गया।देश में महान साधु संतों का जन्म हुआ। जिसमें संत शिरोमणि गुरु रविदास का नाम बहुत आदर और सम्मान से लिया जाता है। गुरु रविदास जी ने आपसी प्रेम और सौहार्द का मार्ग सब को बताया। उन्होने अपना संपूर्ण जीवन समाज से जात पात के भेदभाव को खत्म करने और समाज कल्याण कार्यों में समर्पित कर दिया।
रविदास जयंती कब और क्यों मनाई जाएंगी ?
प्रत्येक वर्ष की माघ पूर्णिमा को गुरु रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल 12 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।
संत रविवदास जी की जीवनी
सन्त रविदास को रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है।इनका जन्म 1377 ई. में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला में माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था।इसलिए हर वर्ष माघ पूर्णिमा के तिथि के अवसर पर इनकी जयंती मनाई जाती है।
वैसे रविदास जी की जन्मतिथि को लेकर एक दोहा प्रचलित है के अनुसार-‘चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास. दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास’. इसका मतलब है कि गुरु रविदास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को रविवार के दिन 1433ई.को हुआ था। इस वर्ष रविदास जयंती माघ पूर्णिमा के दिन 12फरवरी 2025 को मनाई जाएंगी।
मीरा बाई ने बनाया था गुरु
संत रविदास भक्ति आंदोलन के सेनानी और रहस्यवादी कवि और संत भी थे। इन्होंने तात्कालीन समाज मे व्याप्त जातिवाद का भेदभाव मिटाकर लोगों को एकजुटता का पाठ पढ़ाया और अखंड भारतवर्ष लिए प्रोत्साहित किया।वे जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बगैर सभी लोगों की समानता में विश्वास करते हैं।सन्त रविदास की शिक्षा से प्रेरित होकर मेवाड़ की रानी कृष्ण भक्त मीरा बाई ने इन्हे अपना गुरु बनाया था।
क्यों रविदास जयंती को श्रद्धा से मनाते है
हर वर्ष संत रविदास जी के सम्मान में माघ मास की पूर्णिमा तिथि को रविदास जयंती मनाई जाती है।सन्त जात पात धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर होते है। सन्त रविदास ने अपने समय के समाज के उंची जाति के लोगो कई बार आत्म दर्शन कराये।लोग उनके ज्ञान और प्रभू भक्ति को नमन करते है।
मन चंगा तो कठोते में गंगा
सन्त रविदास की ये कहावत बहुत प्रसिध्द है। जहा उन्होने मानव को मनोविकार को दूर कर सच्ची श्रद्धा और प्रभु भक्ति करने को कहा है।मन अच्छा हो तो गंगा रूपी भक्ति भी मल मूत्र से भरे चमडे के इस शरीर मे प्रवेश कर जाती है।
भक्त पवित्र नदियो में करते स्नान
गुरु रविदास जी की जयंती के अवसर को मनाने के लिए विभिन्न देशों से भी लोग भारत आते हैं और भक्त अनुष्ठानों को पूरी श्रद्धा से करने के लिए पवित्र नदियों या संगम में डुबकी लगाते हैं. साथ ही कीर्तन-भजन का भी आयोजन करते है, और इस शुभ तिथि पर गुरु रविदास जी के जीवनकाल से जुड़ी घटनाओं को उनके शिष्य,भक्त याद करते हैं और उससे प्रेरणा प्राप्त कर वरदान स्वरूप स्वीकार करते है।