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इनकम टैक्स बिल 2025 : सोशल मीडिया के मेसेज,पोस्ट और हिस्ट्री पर सरकार की नजर

व्हाट्सएप्प की मदद से सरकार ने लगभग 200 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का पता लगाया- निर्मला सीतारमण वित्तमंत्री

इनकम टैक्स बिल 2025 के अंतर्गत सरकार सोल मिडिया प्लेटफार्म WhatsApp Instagram Google Maps आदि की डिजिटल निगरानी रख सकेगी। इस से टैक्स चोरी पर नियंत्रण किया जा सकेगा। सवाल ये है कि इससे आम जन की प्राइवेसी का उल्लंघन होगा। इसका सरकारी दुरुपयोग भी हो सकता है। 

 

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 दिल्ली। सदन मे जब 25 मार्च को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में कहा कि व्हाट्सऐप की मदद से सरकार ने लगभग 200 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का पता लगाया है। तब से देव मै एक न ई बहस शुरु हो ग ई सरकार हमारे निजी मैसेज पर निगरानी कर सकती है जिससे हमारी निजता खतरे में है। वही WhatsApp दावा करता है कि हर यूजर की चैट एन्क्रिप्टेड होती है।

 

क्या सरकार देख सकेगी WhatsApp चैट?

डिजिटल युग में टैक्स चोरी रोकने के लिए सरकार अब नए तरीके अपना रही है। इनकम टैक्स बिल 2025 के तहत आयकर विभाग अब आपकी WhatsApp चैट, Instagram पोस्ट, Google Maps हिस्ट्री और क्रिप्टो ट्रांजैक्शन्स पर नजर रख सकेगा।यह फैसला टैक्स चोरी रोकने के लिए लिया गया है,जिसकी वर्ल्ड भी है, लेकिन इससे आम नागरिकों की प्राइवेसी पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।ईधर वित्तमंत्री ने कहा कि वॉट्सएप चैट और इंस्टाग्राम अकाउंट्स डिकोड करके 250 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी पकड़ी है।

 

कैसे करेगी सरकार निगरानी

ज्ञात हो कि वॉट्सएप की एन्क्रिप्शन नीति के कारण आम तौर पर कोई तीसरा व्यक्ति आपके मैसेज को नहीं पढ़ सकता है। लेकिन, यदि सरकार को किसी आपराधिक मामले में जांच करनी होती है, तो वे आरोपी के मोबाइल फोन या कंप्यूटर को जब्त कर सकते हैं और पासवर्ड का उपयोग करके डेटा निकाल सकते हैं। यह कानूनी प्रक्रिया के तहत किया जाता है, और सरकार को इसके लिए अधिकार होता है।

 

सरकार को ये तीन अधिकार की शक्तियां

आयकर अधिनियम 1961:-* इसकी धारा 132 के तहत अधिकारियों को टैक्स चोरी और संपत्ति छिपाने के मामलों में लॉकर तोड़ने, सामान जब्त करने और फाइलों की जांच करने का अधिकार है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000:-* इस कानून में फाइलों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स का भी जिक्र है। टैक्स चोरी के मामलों में मोबाइल वगैरह जब्त करने के बाद पूछताछ होती है।

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गृह मंत्रालय का आदेश 2018:- इस आदेश के तहत 10 सरकारी जांच एजेंसियों को डिजिटल सर्विलांस करने का अधिकार दिया गया है। इसके दायरे में इंटरनेट, ऑनलाइन और डिजिटल उपकरण भी आते हैं।

आयकर विधेयक लोकसभा मे

आयकर विधेयक 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। अगर राज्यसभा से भी संशोधित वित्तीय बिल 2025 को मंजूरी मिल जाती है तो, यह विधेयक पूरा हो जाएगा। मानसून सत्र में इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। यह बिल आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा।

सरकार का कहना है कि इस बिल का उद्देश्य टैक्स कानून को सरल करना है। नए इनकम टैक्स बिल की धारा 247 के तहत आयकर अधिकारी कर चोरी या अघोषित संपत्ति के संदेह में किसी भी व्यक्ति के ईमेल, सोशल मीडिया, बैंक डिटेल्स और इंवेस्टमेंट अकाउंट को एक्सेस कर सकते हैं। हालांकि, यह अधिकार केवल उन टैक्सपेयर्स के मामले में मिलेंगे, जिनपर टैक्स चोरी या अघोषित संपत्ति का संदेह होगा।

 

वित्तमंत्री ने इस संबंध मेंक्या कहा ?

लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान 25 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पुराने इनकम टैक्स कानून में डिजिटल संपत्तियों की जांच के लिए पर्याप्त कानूनी सहारा नहीं था। अब डिजिटल फॉरेंसिक की मदद से टैक्स चोरी और बेनामी संपत्तियों को ट्रैक किया जा सकेगा। सरकार के पास अब डिजिटल माध्यमों से टैक्स चोरी रोकने के ठोस कानूनी साधन होंगे।किसी के भी निजी डेटा पर बिना वारंट के डिजिटल माध्यमों की जांच प्राइवेसी का उल्लंघन हो सकती है।

 

क्या हो सकता नुकसान

राइट टु प्राइवेसी खतरा– सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में स्पष्ट किया था कि प्राइवेसी हर जन का मौलिक अधिकार है।

 

राजनीतिक दुरुपयोग– सरकार इसका इस्तेमाल अपने विरोधियों के खिलाफ कर सकती है।

 

*सामान्य नागरिकों पर असर-* बेवजह किसी की भी डिजिटल गतिविधियों की निगरानी की जा सकती है।