MP BIG NEWS : मानवता हुई शर्मसार : जिला अस्पताल में गरीब आदिवासी को नही मिला शव वाहन, बाइक से ले जाने को हुआ मजबूर हुआ पिता
म.प्र का बड़ा और अहम जिला जो फिल्म गायक किशोर कुमार पैतृक रहा हैं। दादा जी धूनीवाले के नाम से प्रसिद्ध खंडवा जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त शव वाहन न होने से गरीब ग्रामीण लोग शव को बाइक पर ले जा रहे हैैं। मप्र शासन और जिला प्रशासन के लिए ये बहुत शर्मनाक बात है।
मकड़ाई एक्सप्रेस 24 खंडवा : घटना सोमवार दोपहर करीब दो बजे खंडवा जिला अस्पताल की है।जहां एक पिता के पास अपने बेटे के शव ले जाने के लिए निजी वाहन करने के लिए रुपये नहीं थे।।खंडवा शहर में एक ही सरकारी शव वाहन है।पिता जब अपने बेटे के शव को बाइक पर रखकर ले जाने लगा,तब जाकर अस्पताल प्रबंधन ने वाहन उपलब्ध करवाया।
जिले के वनांचल ग्राम डेहरिया के कैलाश बारेला ने बताया कि 25 सितंबर को सर्दी- खांसी की शिकायत होने पर मैंने अपने दोनों बच्चे तीन वर्षीय रितेश और छह वर्षीय महेश को निजी डाक्टर को दिखाने के बाद सीरप दी थी। सीरप पिलाने के बाद बच्चे बेहोश हो गए। उस दिन काफी वर्षा हो रही थी। दोनों को मैं जिला अस्पताल ला रहा था। एक बच्चे रितेश की रास्ते में ही मौत हो गई। दूसरे बच्चा महेश यहां आठ दिन से भर्ती था। रविवार शाम महेश की उपचार के दौरान मौत हो गई।
गरीब लाचार पिता के पास निजी वाहन के लिए नहीं थे पैसे –
कैलाश बारेला ने बताया जिला अस्पताल द्वारा सोमवार को पोस्टमार्टम कर हमें शव सौंप दिया गया, लेकिन बच्चे का शव ले जाने के लिए मेरे पास निजी वाहन करने के लिए रुपये नहीं थे। इसलिए महेश के काका गोरेलाल बारेला से मैंने चर्चा की और हमने शव को बाइक से ले जाने का फैसला किया। बाइक मेरा भाई गोरेलाल चला रहा था। हमने महेश के शव को बीच में रखा और एक परिवार का सदस्य बाइक के पीछे बैठ गया। दोनों महेश का शव बाइक से लेकर निकले। तभी कुछ लोगों ने जिला अस्पताल परिसर में ही उन्हें रोका और पूछताछ करने लगे।
आनन फानन में अस्पताल ने कराई व्यवस्था –
बच्चे के पिता ने बताया कि जब लोगों को पता चला कि बाइक पर हम शव ले जा रहे थे तो उन्होंने इधर.उधर इस बात की सूचना दी। इस पर हमारे लिए अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन की व्यवस्था करवा दी। इसके बाद बच्चे के शव को हम शव वाहन से लेकर गांव आए।
जिला अस्पताल में सिर्फ एक शव वाहन –
मप्र में खंडवा जिला बड़ा और विस्तार लिए हैं जिसमें वनांचल ग्रामीण क्षेत्र जुडे़ हैं ग्रामीण क्षेत्रो से जिला अस्पताल के लिए शव वाहन नही हैं गौरतलब है कि इतने बड़े शहर में एक ही सरकारी शव वाहन है। जो नगर निगम का है और ये सुविधा शहरवासियों के लिए है।ग्रामीण क्षेत्रो के लोगो स्वयं के खर्चे पर व्यवस्था करनी पड़ती है।गरीब आदिवासी तो यह भी नही कर पाते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में शव ले जाने की सुविधा नहीं –
बताया जा रहा है कि इसके अलावा कुछ निजी शव वाहन है जो नाममात्र के शुल्क सेवा देती है लेकिन ये भी शहरवासियों के लिए है। ग्रामीण क्षेत्र में शव ले जाने के लिए किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। निजी एंबुलेंस के लिए गरीब तबके के लोगों के पास रुपये नहीं होने से वे किसी तरह अपनी व्यवस्था कर शव ले जाते हैं। लंबे समय से अस्पताल में शव वाहन की मांग हो रही है। इसके अभाव में गरीबों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।