Ladli Behna Yojana: लाड़ली बहना योजना में महिलाओं के खाते मे हर माह 1600 करोड़ रुपये हो रहें जमा, कांग्रेस ने लगाया हितग्राहियों की संख्या कम होने का आरोप
लाड़ली बहना योजना में 1,75,384 हितग्राहियों की संख्या कम होने का आरोप कांग्रेस ने लगाया | सरकार ने दी सफाई आगामी लोकसभा चुनाव तक सरकार कोई रिस्क लेना नही चाहेगी |
मकड़ाई एक्सप्रेस 24 भोपाल : हर माह की 10 तारीख को लाड़ली बहनांओं के लिए खुशखबरी का दिन होता है। इस दिन Ladli Behna Yojana की किश्त महिलाओं के खातें में आती है। बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने कार्यकाल की पहली लाडली बहना योजना की 8 वी किश्त खातों में स्थानांतरित की। इधर कांग्रेस ने बताया कि योजना शामिल करीब डेढ़ लाख लाडली बहनाएं कम हो गई। इस बयान पर म.प्र. BJP द्वारा कहा गया कि योजना में 60 साल से अधिक उम्र की डेढ़ लाख से अधिक लाडली बहनाएं सूची से बाहर नियमानुसार किया गया।
क्या Ladli Behna Yojana सरकार के लिए गले की फांस बनेगी – पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाहान द्वारा चलाई गई लाड़ली बहना योजना में महिलाओ के खाते में रुपयें डाले जा रहे है | जो अभी तक तो ठीक ठाक चली है। सूत्रों की माने सरकार का खजाना सिर्फ एक इसी योजना में हर माह 1600 करोड़ रुपये का खर्चा होना है। शासन का खजाना भी खाली होगा ऐसा न हो कि सरकार को योजना चलाने के लिए कर्ज लेना पड़े बताया जा रहा है | कि जनवरी माह में किश्त डालने के लिए सरकार जुगत भिड़ानी पड़ी है। अब फरवरी माह की राशि के लिए अधिकारियों को खासी दिक्कतें आ सकती है। आगामी लोकसभा चुनाव तक सरकार कोई रिस्क लेना नही चाहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भी कहना पड़़ा कि हर माह की 10 तारीख को लाडली बहनाें के खातों में राशि जमा होगी। उन्होंने अपने वादे के मुताबिक बुधवार को 1.29 करोड़ लाडली बहनाओं के खातों में यह राशि ट्रांसफर भी करवा दी।
लाड़ली बहनों की संख्या घटने का आरोप –
वही कांग्रेस ने लाड़ली बहनों की संख्या घटने का आरोप भी लगाया। जिसके जवाब में भाजपा की ओर से बताया गया कि शासन की ओर से लाडली बहना की कोई संख्या नहीं घटाई गई है, बल्कि पिछले 5 महीनों में 154 लाडली बहनाओं की मौत हो गई, तो 18136 बहनाओं ने स्वेच्छा से इस योजना का परित्याग कर दिया। 804 की समग्र आधार डी लिंक होने से और 1 लाख 56253 लाडली बहनाएं 60 साल से अधिक उम्र की हो गई। चूंकि नियम में 60 साल तक की उम्र की महिलाओं को ही इसका लाभ मिलना है। लिहाजा अब इसी तरह अधिक उम्र होने मृत्यु या स्वेच्छा से योजना छोडऩे वाली बहनों की संख्या हर माह घटती रहेगी। वर्तमान में 1 लाख 75 हजार बहनाएं घट गई हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव बाद पात्र-अपात्र के आधार पर भी बहनों की संख्या घट सकती है।