नर्मदापूरम : वन विभाग के द्वारा 57 आदिवासी परिवारों को दिए गए बेदखली के आदेश एवं आपराधिक प्रकरण हुए निरस्त
नर्मदा पूरम : मध्यप्रदेश में वैसे तो आए दिन जनजातियों पर अन्याय अत्याचार के मामले सामने आते रहते है । भारत के जनजाति समाज जल जंगल जमीन की रक्षा करते आई है। लेकिन फिर भी उस समाज के लोगो पर अन्याय अत्याचार होता है। वर्षों से काबिज उनकी जमीन के टुकड़े जिससे उनका घर परिवार चलता हैं वो उनसे छीनने का प्रयास वन अधिकारी करते है।
एक और प्रदेश में महामहिम राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल के द्वारा भी लगातार आदिवासी समाज के विकास उत्थान और शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जनजातीय प्रकोष्ठ को मार्ग दर्शन देते रहते है। वही प्रदेश में कई वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलवाकर उन लोगो को ज्यादा से ज्यादा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत है।
प्रदेश के मुखिया श्री मोहन यादव भी आदिवासी समाज के लिए अनेकों योजनाओं के माध्यम से जनकल्याण में लगे हुए है। वैसे बहुत सहज सरल है लेकिन लापरवाही भ्रष्टाचार का कोई मामला उनके सामने आने पर अधिकारियों के द्वारा गड़बड़ी करने पर वो तुरंत एक्शन भी लेते है। उन्हीं के मार्गदर्शन में जनजातीय प्रकोष्ठ मध्यप्रदेश के अधिकारी लगातार प्रदेश में कार्य कर रहे है।
ऐसा ही एक मामला नर्मदापुरम जिले में सामने आया। जहां 57 आदिवासी परिवारों को वन विभाग ने बेदखली के आदेश जारी कर दिए। ये परिवार बेदखली के आदेश के बाद जिला स्तर पर अधिकारियों के आगे गुहार लगाते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। परंतु अंत में उनकी जमीन बचा ली गई।
क्या है पूरा मामला।
तहसील माखन नगर के ग्राम खरदा पूरा , खखरापुरा एवं दागपुरा के लगभग 57 कोरकू जनजातीय परिवारों को वन विभाग द्वारा उनकी भूमि जिसपर की वो कई वर्षो से काबिज होकर रहते आए हैं एवं कृषि कार्य कर रहे हैं । से बेदखली का आदेश मिला। जानने लायक बात ये है कि उक्त भूमि पर इन सभी ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत दावा किया हुआ था जो की अभी तक स्थानीय प्रशासन द्वारा निराकृत नहीं हुआ। इन सभी पर केवल बेदखली के आदेश ही नही हुए थे अपितु भारतीय वन अधिनियम के अंतर्गत मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपराधिक मामला भी दर्ज हुआ। नोटिस भेजे गए ये कहते हुए कि उक्त भूमि वन की है और आप लोग गैरकानूनी रूप से काबिज है अतेव आपका मकान , आपकी फसल राजसात की जाएगी ।इस प्रकार के पत्राचार से ये सारे 57 परिवार के आदिवासी लोग भयभीत हो गए। उन्होंने वनवासी ग्रामीण मजदूर संघ के लक्ष्मण लोबे एवं जितेंद्र जी के पास अपनी गुहार लगाई।
उन्होंने इस मामले को लेकर जनजातीय ग्रामीण मजदूर संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री जितेंद्र गुर्जर जी को बताया । उन्होंने इस पूरे मामले को महामहिम राजपाल महोदय और जनजाति प्रकोष्ठ राजभवन के विधि सलाहकार विक्रांत सिंह कुमरे को पत्र लिखवाया उसके बाद विधि सलाहकार एडवोकेट विक्रांत सिंह के द्वारा गरीब परिवारों के सामने जीवन यापन के संकट को देखते हुए। उनके पत्र को संज्ञान में लेकर अधिकारियों से चर्चा कर अतिक्रमण की कार्यवाही को रुकवाया उनके हस्तक्षेप के बाद आदिवासी परिवारों को न्याय मिला।
इस हेतु सभी आदिवासियों ने विक्रांत सिंह कुमरे एवं भग्गू सिंह रावत जी को श्रीफल देकर उनके माध्यम से माननीय राज्यपाल महोदय को आश्रोपूर्ण धन्यवाद और आभार ज्ञापित किया।