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मकड़ाई खुदिया: गाँव से राष्ट्रीय सम्मान तक: प्रेम सिंह चौहान की प्रेरक कहानी

हरदा जिले के एक छोटे से गाँव खुदिया से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना किसी साधारण व्यक्ति के लिए असाधारण उपलब्धि है। प्रेम सिंह चौहान पिता श्री विकट सिंह चौहान  निवासी खुदिया जो कि वर्तमान में विदेश मंत्रालय के अंतर्गत पासपोर्ट कार्यालय, पणजी (गोवा) में वरिष्ठ पासपोर्ट सहायक के रूप में कार्यरत हैं, ने अपने संघर्ष और दृढ़ संकल्प से यह साबित कर दिया कि सीमित संसाधनों के बावजूद सपने पूरे किए जा सकते हैं।

शुरुआत: गाँव की मिट्टी से तैयार हुआ सपना

प्रेम सिंह चौहान का जन्म और पालन-पोषण मध्य प्रदेश के छोटे से गाँव खुदिया में हुआ। उनके बचपन का अधिकांश हिस्सा गाँव की सादगी और संघर्ष के बीच बीता। शिक्षा के सीमित साधनों के बावजूद, उनके माता-पिता ने उन्हें मेहनत और पढ़ाई का महत्व समझाया। प्रेम सिंह बताते हैं, “मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया कि हर काम महत्वपूर्ण होता है, बशर्ते उसे करने का तरीका सही हो।”

करियर की शुरुआत: मेहनत का पहला फल

वर्ष 2008  से 2011 के  मध्य उन्होंने कम्पटीशन एग्जाम की तैयारी की , तैयारी में पिनेकल कोचिंग का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा, वहाँ से प्रतियोगिता परीक्षा के लिए रुचि जागी साथ ही ssc एसएससी परीक्षा के लिए बड़े भैया धीरज यादव ने बहुत सहयोग प्रदान किए। बहुत बार विफलता का सामना करन पड़ा , लेकिन अंतोत्गत्वा

2011 में स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) परीक्षा पास कर प्रेम सिंह ने विदेश मंत्रालय के अधीन गोवा के पासपोर्ट कार्यालय मे कनिष्ठ पासपोर्ट सहायक के रूप में सेवा शुरू की। एक छोटे से गाँव से निकलकर मंत्रालय के तहत काम करना उनके लिए एक सपने के साकार होने जैसा था। इस पद पर रहते हुए उन्होंने न केवल अपने कार्य क्षेत्र में दक्षता दिखाई, बल्कि राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार में भी विशेष रुचि ली।

राजभाषा हिंदी के लिए समर्पण

प्रेम सिंह चौहान ने अपने कार्यालय में राजभाषा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विशेष प्रयास किए। वह महसूस करते थे कि हिंदी, जो देश की राजभाषा है, को सही ढंग से लागू करने और कार्यालयीन कार्यों में उसका सहज उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उन्होंने हिंदी को सरल और सुगम बनाकर अपने सहकर्मियों को भी प्रेरित किया।

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उनके प्रयासों का परिणाम तब सामने आया जब उन्हें गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राजभाषा नीति के उत्कृष्ट क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2022-23 हेतू 2024  को मुंबई में  महाराष्ट्र के राज्यपाल महामहिम रमेश बेस जी द्वारा पुरस्कार एवं सर्टिफिकेट् प्रदान किया गया और वर्ष 2023-24 का पुरस्कार इस वर्ष जयपुर राजस्थान में दिनांक 17 फरवरी 2025 को भारत सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय के गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय एवं राजस्थान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कर कमलों द्वारा पुरस्कृत किया गया ।

इस तरह लगातार दो वर्षों  के लिए उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रेम सिंह इस सम्मान को अपनी मेहनत और ग्रामीण पृष्ठभूमि के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानते हैं।

संघर्षों से सीख और प्रेरणा

प्रेम सिंह का सफर आसान नहीं था। गाँव की सीमित सुविधाओं और प्रारंभिक संघर्षों ने कई बार उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश की। लेकिन हर बार उन्होंने खुद पर और अपने परिवार के विश्वास को टूटने नहीं दिया। वह बताते हैं, “संघर्षों ने मुझे मजबूत बनाया और मुझे सिखाया कि हर प्रयास मायने रखता है।”

गाँव और युवाओं के लिए संदेश

राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने के बाद भी प्रेम सिंह अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। वह कहते हैं, “गाँव का हर बच्चा सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हकदार है। अगर मैंने खुदिया से निकलकर यह मुकाम हासिल किया है, तो हर कोई यह कर सकता है।”

एक प्रेरक व्यक्तित्व

प्रेम सिंह चौहान की कहानी न केवल उनके गाँव खुदिया, बल्कि देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह दिखाती है कि सही दिशा में किए गए परिश्रम।से  सफलता जरूर मिलती  है।