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सोयाबीन MSP खरीदी में घोटाला! किसानों का चक्का जाम, जानिए पूरा मामला Soybean MSP Purchase

दोस्तों, मध्य प्रदेश में Soybean MSP Purchase को लेकर इन दिनों बड़ा विवाद चल रहा है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सोयाबीन खरीदी के दौरान अवैध वसूली के आरोपों ने किसानों को सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया है। आइए जानते हैं इस पूरी घटना की डिटेल और समझते हैं कि किसानों को आखिर किन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

सोयाबीन का समर्थन मूल्य और बाजार का हाल

  • केंद्र सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
  • वहीं मंडी में सोयाबीन का भाव केवल 4200-4500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच मिल रहा है।
  • इस कारण किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन बेचने को मजबूर हो रहे हैं।

किसानों ने क्यों किया चक्का जाम?

  • उज्जैन जिले में Soybean MSP Purchase के दौरान किसानों ने अवैध वसूली के खिलाफ चक्काजाम किया।
  • किसानों का आरोप है कि सोसाइटी और तौल केंद्रों पर सर्वेयर द्वारा पैसा लेकर सोयाबीन खरीदी की जा रही है।
  • किसानों ने बताया कि तौल के बदले भी उनसे अतिरिक्त पैसे मांगे जा रहे हैं।
  • इस प्रदर्शन का नेतृत्व भारतीय किसान संघ ने किया।

क्या है किसानों की मांग?

  • किसानों का कहना है कि सरकार इस अवैध वसूली पर तुरंत रोक लगाए।
  • यदि व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
  • किसान संघ के नेता ने कहा कि अब अगर कोई सुधार नहीं हुआ तो पूरे जिले में चक्का जाम किया जाएगा।

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सोयाबीन खरीदी के नियम और प्रक्रिया

  • खरीदी केंद्रों पर काम सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक होता है।
  • तौल पर्ची शाम 6 बजे तक जारी की जाती है ताकि गुणवत्ता परीक्षण दिन के उजाले में हो सके।
  • शनिवार और रविवार को केवल स्टॉक प्रबंधन, लेखा मिलान और स्कंध अपग्रेडेशन का काम किया जाता है।

किसान किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं?

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  • अवैध वसूली: तौल केंद्रों पर किसानों से जबरन पैसे लिए जा रहे हैं।
  • गुणवत्ता जांच: नमी या अन्य कारणों से सोयाबीन रिजेक्ट होने पर किसानों को परेशानी हो रही है।
  • भंडारण शुल्क: यदि समय पर स्कंध का अपग्रेडेशन नहीं हुआ तो किसानों को भंडारण शुल्क देना पड़ता है।

किसानों के लिए जरूरी नियम

  • यदि किसान नमी वाला सोयाबीन लेकर आते हैं तो उसे तुरंत रिजेक्ट कर दिया जाता है।
  • सोयाबीन अपग्रेड करने का खर्च किसान को स्वयं उठाना होगा।
  • यदि भंडारण के लिए भेजे गए सोयाबीन में कचरा या पत्थर मिला तो किसान पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।

नमी के मानकों में छूट

  • अब सरकार ने 12% के बजाय 15% तक नमी वाले सोयाबीन की खरीद की अनुमति दी है।
  • इससे किसानों को अपनी उपज बेचने में थोड़ी राहत मिलेगी।

सीसीटीवी से होगी निगरानी

खरीदी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाएगी। किसी भी शिकायत की स्थिति में फुटेज का उपयोग किया जाएगा।

सरकार से किसानों की उम्मीदें

दोस्तों, किसानों की समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। Soybean MSP Purchase की इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी जरूरी है। किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिलना चाहिए ताकि वे अपनी मेहनत का फल पा सकें।

किसानों की मेहनत का सम्मान करना हर किसी की जिम्मेदारी है। सरकार को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि किसानों का भरोसा कायम रहे। आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? अपनी राय जरूर बताएं!

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