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सुश्री भारती किशोरी के मुखारबिंद से हो रही नानीबाई के मायरे की कथा

हरदा :- टंडन जी परिवार द्वारा सुश्री भारती किशोरी जी श्रीधाम वृन्दावन के मुखारबिन्द से सेठ हरिशंकर अग्रवाल मांगलिक भवन में नानी बाई रो मायरो का तीन दिवसीय कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का समय दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक किया जा रहा है। प्रथम दिवस कलश यात्रा निकाली गई।

उसके उपरांत सुश्री भारती जी ने कथा में बताया कि नानी बाई के यहां बेटी का जन्म हुआ तो ससुराल वालों ने तकलीफ देना प्रारंभ कर दिया। बेटी बड़ी हुई तो विवाह की बात हुई एवं लगन पत्रिका लिखाई। नानीबाई के ससुराल में सभी रिश्तेदारों को बुलाने की बात हुई परंतु नरसी मेहता जो नानीबाई के पिता थे उनको नहीं बुलाने की बात हुई। क्योंकि वह गरीब थे उनकी गरीबी के कारण नहीं बुलाया जा रहा था।

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परिवार के बड़ो के हस्तक्षेप एवं परामर्श से नरसी मेहता की पत्रिका लिखा गई । यह बात जब नानीबाई की सासू चिढ़ते हुए बड़बड़ाने लगी और बोली नरसी मेहता के यहां पत्रिका जा रही है। नानीबाई की दादी सासू ने पूछां की क्या हुआ बहू , तो बहू ने गुस्से में कहा कि नरसी मेहता की पत्रिका लिखा गई है।

तब दादी सास ने बहू से कहा जा कागज एवं कलम लेकर आ साथ ही लिखने वाले को भी बुला ला जो चिट्ठी लिख सकें। उस चिट्ठी में इतना मायरा लिख दो की नरसी मेहता के लिए लाना मुश्किल हो जाये और लिख दे कि यदि मायरो नहीं ला पाए तो बिल्कुल मत आना । मायरा लिखवाने में सभी सासू एवं ननंदो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । मायरे की लिस्ट देख नानी बाई के आंखों में आसूं आ गये।