TIMARNI NEWS : अधिवक्ता संतोष राजपूत धर्मेंद्र जसपाल ने रचा था, पत्रकार पर झूठा मामला दर्ज कराने का खैल
काल डिटेल लोकेशन से जल्द होगा बड़ा खुलासा
मकड़ाई समाचार हरदा/टिमरनी। नगर के न्यायालय में दुसरों को न्याय दिलाने वाले कुछ अधिवक्ता अब गुंडागर्दी पर उतारू हो गए है। और झूठे केसो में फसाने के लिए अब कानून को अपने हाथ में लेते नजर आ रहें है। ऐसे ही नगर के पत्रकार पर विगत दिनों हुई मारपीट की घटना में अहम रोल दो अधिवक्ताओं का है। जिन्होने पत्रकार के उपर झूठी एससीएसटी के तहत मामला दर्ज कराया है। और कानून के रखवालो ने कानून को अपने हाथ में लिया है जो कानूनन अपराध है। वहीं अपने संगठन के साथीयों को गुमराह करते हुए सड़क पर उतार आये और निर्दोष पत्रकार को दोषि बताते हुए गिरफतारी की मांग करने लगे।
ज्ञात हो कि अतिक्रमण को लेकर एवं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की पत्रकार द्वारा खबरे लगाई जा रही थी। इस मामले में अधिवक्ता जसपाल परिवार को आपत्ति थी। और उनके अधिवक्ता साथियों ने विगत दिनों एसडीएम से बहस भी की थी।तभी से यह तीनों अधिवक्ता पत्रकार की जान के दुश्मन बनकर उससे बदला लेने झूठे केस में फंसाने की रणिनीति बना रहे थे। और सोची समझी साजिश के तहत पत्रकार पर झूठा केस बनाया गया। और निजी झगड़े को बार ऐसोशियन का बताकर अच्छे ईमानदार अधिवक्ताओ को झूठी जानकारी देकर गुमराह किया गया। और हरदा जिले में पत्रकारों और अधिवक्ताओ में अच्छे संबधो में जहर उगलने का काम किया गया।
दो अधिवक्ताओं का था खैल
टिमरनी नगर के अधिवक्ता संतोष राजपूत जो की संगठन के पदाधिकारी भी है। जिन्होने कानून को अपने हाथ में लेकर बकालाती दिमाग का स्तमाल करते हुए पत्रकार को झगडे के बाद एसटीएससी के केस में फसाने के लिए अपने जुनियर अधिवक्ता महेन्द्र देवडा को रहटगांव से फोन कर घटना की जानकारी देकर बुलाया और सीधे थाने में लेकर आये। जहां बीच-बचाओं में देवडा को जाति सुचक शब्दो की बात कर झूठा बयान दिलवाया गया है। वही पुलिस ने दबाव में आकर एससीएसटी का प्रकरण दर्ज कर लिया। जबकि महेन्द्र देवडा घटना के समय रहटगांव में था जहां कुछ स्थानो के सीसीटीवी केमरो की जांच भी की गई है। वही अधिवक्ता धर्मेंद्र जसपाल के द्वारा नगर में जो शासकीय भूमि पर अतिक्रमण किया गया था। उसी की खुन्नस निकालने के लिए 3 अधिवक्ताओं को मोहरा बनाकर पत्रकार के साथ सोची समझी साजिस के तहत हमला करवाया गया है।
काॅल डिटेल से होगा खुलासा
अधिवक्ता संतोष राजपूत द्वारा अपने मोबाईल से अपने जुनियर अधिवक्ता साथी महेन्द्र देवडा को फोन किया और उसे झूठी एससीएसटी में एफआईआर दर्ज कराने के लिए अधिवक्ता धर्मेद्र जसपाल और संतोष राजपूत ने तैयार किया और थाने लेकर पहुचे। जहां झूठे बयान दिलाए गए जबकि महेन्द्र देवडा को घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जैसा इन अधिवक्ताओं ने बोला वैसा ही थाने में जाकर महेन्द्र देवडा ने अपने बयान दिए है। संतोष राजपूत और महेन्द्र देवडा के बीच हुई बातो की रिर्काडिंग और काल की डिटेल के साथ मोबाईल लोकेशन के लिए पत्रकारो ने एसपी मनीष अग्रवाल को आवेदन देकर मांग की है। लेकिन अब जलद ही बडा खुलाआ इन अधिवक्ताओं का होगा। वहीं अधिवक्ताओं की इस कार्यप्रणाली से ऐसा प्रतीत होता है की यह अधिवक्ता एक पत्रकार को फसाने के लिए इतनी बडी साजिस रच सकते है तो अन्य लोगो को न्याय नहीं दिलाने के लिए क्या-क्या दाव पेंच करते होंगे। कितने झूठे गवाह पेश किए जाते होंगे।