खातेगांव में 1.40 करोड़ की लागत से घटिया नालो का निर्माण, वार्ड पार्षद ने ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की
खातेगांव। नगर के वार्ड क्रमांक 4, 9 और 11 में 1 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से बनाए गए नालों की निर्माण गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जनता के टैक्स के पैसों से बना यह नाला अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। स्थानीय निवासियों ने निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के उपयोग और लापरवाही का आरोप लगाया है, जबकि वार्ड क्रमांक 09 पार्षद रुचिका कमल कासलीवाल ने भी नगर परिषद से ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की है।
बिना मजबूत आधार, घटिया निर्माण की पोल खुली..वार्डवासियों के अनुसार, नाले के निर्माण में न तो सही से बेस डाला गया और न ही उचित मात्रा में रेत और सीमेंट का उपयोग हुआ। कई जगहों पर गिट्टी और सरिया बाहर झांक रहे हैं। स्थिति इतनी खराब है कि हल्का झटका लगने पर नाले की दीवारें भरभरा कर गिर सकती हैं।सवाल यह उठता है कि जब शुरुआती दौर में ही नाला इतना कमजोर है,तो बारिश के दिनों में यह जल निकासी की जगह गंदगी का अड्डा बन जाएगा।* *ठेकेदार और प्रशासन की मिलीभगत का आरोप स्थानीय नागरिकों ने आशंका जताई है कि ठेकेदार और नगर परिषद के अधिकारियों की साठगांठ के चलते इस तरह के घटिया निर्माण को अंजाम दिया गया है। कई निवासियों ने संदेह जताया कि कमीशनखोरी के चलते गुणवत्ता से समझौता किया गया और जनता के पैसे की बर्बादी हुई।पार्षद ने ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की।*
भाजपा वार्ड पार्षद रुचिका कमल कासलीवाल ने ठेकेदार एस.आर. कंस्ट्रक्शन द्वारा किए गए इस घटिया निर्माण कार्य की निंदा की है और नगर परिषद को ज्ञापन सौंपकर ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की है।
पार्षद प्रतिनिधि कमल कासलीवाल ने स्पष्ट कहा कि—
जब तक इस नाले का सही से पुनः निर्माण नहीं किया जाता, तब तक ठेकेदार को कोई भुगतान नहीं किया जाना चाहिए। यदि नगर परिषद ने ठेकेदार को भुगतान कर दिया, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी परिषद की होगी और इसके खिलाफ मैं आगे की रणनीति बनाऊंगा।
जनता की मांग – उच्च स्तरीय जांच और ठेकेदार पर कार्रवाई होना चाहिए। स्थानीय नागरिकों और पार्षदों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
जनता चाहती है कि—घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदार पर कार्रवाई की जाना चाहिए। एवं नगर परिषद को निर्माण कार्य की पुनः गुणवत्ता जांच कराई जाना चाहिए।साथ इस ठेकेदार को भविष्य में किसी भी सरकारी ठेके से वंचित किया जाना चाहिए।*
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।