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What Causes Period ? पीरियड्स में सिर्फ 2 दिन क्यों होती है, जाने कारण, ब्लीडिंग से राहत के उपाय 

Causes Of Two Days Menstrual Flow During Periods : अक्सर देखा है युवतियों को विवाहित महिलाओ को कभी कभी पीरियड्स में 3 से 5 दिनों तक ब्लीडिंग होती है। इसे ही नॉर्मल पीरियड्स कहा जाता है। लेकिन, कुछ महिलाओं को इससे कम या इससे ज्यादा दिनों तक भी ब्लीडिंग हो सकती है। कई बार दो दिन ही ब्लीडिंग होकर रुक जाती है। अगर किसी महिला को नियमित रूप से मात्र दो दिन ब्लीडिंग होती है।, तो यह शरीर केi लिए नुकसान दायक है। ऐसा होने पर महिला को चाहिए कि वह डॉक्टर को संपर्क करें। लेकिन, इससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि आखिर ऐसा क्यों होता है।

प्रेग्नेंसी के दौरान इन बातो का रखे ख्याल  –

स्त्रीरोग विसेस्ग्यो की माने तो “प्रेग्नेंसी होने पर कई बार महिला को शुरुआती दिनों में महज एक से दो दिनों तक ब्लीडिंग हो सकती है। हालांकि, इस दौरान जो ब्लीडिंग होती है, उसका रंग अलग होता है। यह पिंक से डार्क ब्राउन कलर का नजर आ सकता है। वैसे आपको बता दें कि जरूरी नहीं है कि हर प्रेग्नेंट महिला के साथ ऐसा हो।”

मिसकैरेज होने पर क्या करे –

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मिसकैरेज होने पर अक्सर महिलाओं को ब्लीडिंग होती है। इस तरह की कंडीशन को अक्सर महिलाएं प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने से रिलेट करके देखती हैं। लेकिन, मिसकैरेज होने पर महिला को काफी ज्यादा पेट में दर्द, क्रैंप्स होने लगते हैं। कभी-कभी ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हैवी होने लगती है। मिसकैरेज होने पर पीठ में और पेल्विक एरिया में दर्द भी होता है।डॉ. शोभा गुप्ता कहती हैं, “डिलीवरी के बाद जो महिलाएं अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीड कराती हैं, उन्हें अक्सर लगभग 6 माह तक पीरियड्स नहीं होते हैं। जब आप ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को पीरियड्स होने लगते हैं, तो शुरुआती दिनां में हल्के स्पॉट्स नजर आते हैं और कई बार पीरियड्स देर से आते हैं।”

बर्थ कंट्रोल पिल लेना कहिये या नही –

बर्थ कंट्रोल पिल लेने की वजह से भी कई बार महिलाओं के सिर्फ दो दिनों तक पीरियड्स होने की समस्या हो सकती है। दरअसल, बर्थ कंट्रोल पिल हार्मोन होते हैं। ये हार्मोन यूट्रस की लाइनिंग को पतला कर देती हैं। ऐसे में पीरियड्स डिस्टर्ब हो सकते हैं। कई बार पीरियड्स में नजर आ रहे ब्लड का कलर भी बदल जाता है।

स्ट्रेस होने पर क्क्य करे –

“कई बार महिलाओं को सिर्फ दो दिन पीरियड्स तब आते हैं, जब वे लंबे समय से स्ट्रेस या डिप्रेशन से गुजर रही होती है। डिप्रेशन या स्ट्रेस से मानसिक स्थिति स्थिर नहीं रहती है। इसका बुरा असर हार्मोन पर पड़ता है। हार्मोनल असंतुलन होने पर पीरियड्स में उतार-चढ़ाव नोटिस किए जा सकते हैं।”