खिरकिया : हमारे जीवन मे दु:ख से भी बड़ी समस्या दोष की है। हम कथा सुनकर दु:ख ही नही दोष को भी दूर कर सकते हैं। क्योकि दोष रह गया, तो अगले जन्म मे भी कष्ट देगा। केवल हम चौथे पहर में ही नहीं, बल्कि जीवन के चौथेपन में भी जागे।प्रभात तो रोज होता है,पर जिस प्रभात मे ईश्वर का स्मरण हो जाए,वह सुप्रभात हो जाता है।यह बात ग्राम मांदला में ढोलया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को कथावाचक पंडित नीरज महाराज ने कही।उन्होंने कहा कि हम पेट के लिऐ कम और पेटी के लिए ज्यादा पाप कर रहे है। हमारा पेट नहीं बल्कि हमारी पेटी पापी है। हमारा भगवान से निवेदन रहे, कि प्रभु पाप मन से नहीं मजबूरी में हो गया,तो आप माफ करो। प्रभु जी मेरे अवगुण चित्त ना धरो,।यदि हमारा भाव वंदन अच्छा है,वतो भव बंधन से तो पार हो ही जाएंगे। हम हमारे पित्तरों के लिए कुछ नहीं कर सकते, तो भागवत की कथा सुनकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप अर्पण करें। हम गायों को हरा चारा खिलाकर या चतु:श्लोकी भागवत सुनाकर भी पितृ ऋण मे मुक्त हो सकते है।
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