ब्रेकिंग
Aaj ka rashifal: आज दिनांक 7 दिसंबर 2024 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे। MP NEWS: फिल्मी स्टाइल में वाहनों में सवार होकर तलवार बंदूक लेकर आए 2 दर्जन से अधिक हमलावर, जमकर हु... मप्र से अस्थि विसर्जन करने गये एक ही परिवार के 6 लोगों की सड़क हादसे में मौत और 5 घायल! सीएम ने जताया... छतरपुर में छात्र ने प्रिंसिपल को मारी गोली!  पिता को बुलाकर खुद की शिकायत से छात्र था नाराज ! खबर का असर : खबर के बाद लगाए संकेतक चिन्ह लोग हो रहे थे। घायल  नईदिल्ली: महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बीआर आंबेडकर को दिग्गज नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित परम पूज्य गुरूदेव श्री सुदेश शांडिल्य जी महाराज ने पैदल नर्मदा परिक्रमा ग्राम गोयत हंडिया से शुरू की... उपभोक्ता आयोग हरदा का आदेश: कुहीग्वाडी व करताना के किसानों को फसल बीमा के मिलेंगे 2 लाख रूपये प्रदेशव्यापी विधानसभा घेराव में हरदा जिले से शामिल होंगे सैकड़ों कार्यकर्ता टिमरनी: आदिवासी समुदाय के लोगो को प्रशासन द्वारा जमीन से किया जा रहा बेदखल! प्रेस वार्ता आयोजित कर ज...

पति को निकम्मा, बेरोजगार और मेंटल हैरेसमेंट करना भी मानसिक क्रूरता है, माना तलाक का आधार

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 नई दिल्ली |पति को निकम्मा, बेरोजगार और मेंटल हैरेसमेंट करना तलाक का आधार बन सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने ने इसे मानसिक क्रूरता माना है। कहा कि यदि पत्नी पति को उसके माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाती है, तो उसे डिवोर्स दिया जा सकता है। जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने इस केस की सुनवाई की है। कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुसार, लड़का अपने माता-पिता के साथ रहता है। बेटे के अलग रहने के लिए कोई ठोस कारण होना चाहिए।

- Install Android App -

क्या है पूरा मामला….?

पश्चिमी मिदनापुर जिले की पारिवारिक अदालत ने जुलाई 2001 में पति द्वारा पत्नी पर मानसिक क्रूरता का आरोप लगाते हुए शादी को भंग कर दिया था। महिला ने उस आदेश के खिलाफ मई 2009 में कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पति को कायर और बेरोजागर बताने के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा, ‘यह पत्नी की झूठी शिकायत के कारण था, क्योंकि पति ने सरकारी नौकरी खो दी थी।’अदालत ने याचिकाकर्ता की डायरी को भी देखा। जिसमें यह लिखा कि वह कहीं और विवाह करना चाहती थी। कोर्ट ने कहा, ‘ऐसे मामलों में शादी कानूनी बंधन बनकर रह जाती है। यह कल्पना के अलावा कुछ नहीं है। खंडपीठ ने विवाह भंग करने के फैसले को बरकरार रखा है।’