मास्क लगाने को लेकर लोग लापरवाह बने हुए हैं। कई लोगों को भ्रम है कि इसे लगाने से सांस लेने में दिक्कत होती है। हालांकि चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ मनोवैज्ञानिक दिक्कत है। मास्क आपके लिए वैक्सीन की तरह है। वहीं, गंभीर स्थिति के बाद भी कोरोना को हरा चुके लोगों का कहना है कि मौत के मुंह में जाने से अच्छा है मास्क लगाकर अपना बचाव करें।
भारी काम नहीं कर रहे तो मास्क लगाने से सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं होती
लोगों में यह गलत धारणा है कि मास्क लगाने से सांस लेने में दिक्कत होती है। शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। सच्चाई यह है कि अगर आप भारी काम जैसे दाड, व्यायाम आदि नहीं कर रहे हैं तो मास्क से कोई दिक्कत नहीं होती। चिकित्सक होने के नाते मैं खुद लगातार आठ घंटे तक मास्क लगाकर रहता हूं। यह कहना है छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल का। उन्होंने कहा कि मास्क नहीं लगाना तो उसी तरह से है जैसे अपने घर का दरवाजा किसी चोर के लिए खोल दिया है। हर व्यक्ति मास्क लगाए तो कोरोना संक्रमण से 98 फीसद तक बचाव हो सकता है। भारत में जनसंख्या ज्यादा है। हर जगह भीड़ है। ऐसे में बचाव का तरीका सिर्फ मास्क ही है। अभी कोई वैक्सीन (टीका) नहीं आई है। यह भी तय नहीं है कि कब तक आएगी। अभी जितने भी लोग कोरोना से बचे हुए हैं उसकी वजह यह है कि उन्होंने ठीक तरीके से मास्क पहनना अपनी आदत में शामिल कर लिया है। सर्जिकल मास्क का उपयोग सिर्फ एक बार करें। घर में कॉटन का दो या तीन परत का मास्क बना सकते हैं। इसे रोज धोकर पहना जा सकता है। एन-95 मास्क लगा रहे हैं तो एक दिन उपयोग करने के बाद उसे लिफाफे में तारीख डालकर रख दें। पांचवें दिन उस मास्क का उपयोग करें तब तक वायरस मर जाते हैं। इस तरह एक मास्क को हर चार दिन बाद पांच बार उपयोग कर सकते हैं।
संक्रमण की चेन रोकने का सबसे अच्छा तरीका है मास्क
हमीदिया अस्पताल के छाती व श्वास रोग विभाग के प्रमुख डॉ.लोकेंद्र दवे ने कहा कि तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण की चेन ता़ेडने के लिए सभी को मास्क लगाना जरूरी है। सिंगापुर समेत कई देशों ने मास्क को अनिवार्य करके ही कोरोना को काबू किया है। इसके अलावा कोरोना से बचने के लिए दूसरों से कम से कम छह फीट की शारीरिक दूरी रखना जरूरी है। जैसे-जैेसे मरीज बढ़ रहे हैं वैसे ही लोगों की लापरवाही भी बढ़ती जा रही है। राजनीतिक व कर्मचारियों की रैलियां हो रही हैं। भीड़ वाली गतिविधियां रोकने की जरूरत है। मास्क का उपयोग हर व्यक्ति को करना है। ऐसा नहीं कि आपके सामने वाले व्यक्ति ने मास्क लगाया है तो आपको लगाने की जरूरत नहीं है। पुलिस और प्रशासन को भी मास्क नहीं लगाने वालों पर सख्ती करने की जरूरत है। ऐसा नहीं किया गया तो संक्रमण तेजी से बढ़ेगा और हालात बेकाबू हो जाएंगे। मास्क लगाकर मेहनत वाला कोई काम करने पर ऑक्सीजन पहुंचने में पांच फीसदी तक कमी आ सकती है, लेकिन सामान्य स्थिति में कोई दिक्कत नहीं होती है। कोरोना की दस्तक के दौरान मार्च-अप्रैल में लोगों में डर ज्यादा था, इसलिए ज्यादातर लोग मास्क पहनते थे। अब ऐसी लापरवाही हो रही है जैसे बीमारी ही चली गई हो।
मैंं कहीं नहीं जाता था। हमेशा मास्क लगाता था। इसके बाद भी पता नहीं कैसे कोरोना की चपेट में आ गया। 16 जुलाई को एम्स में भर्ती हो गया। इसके बाद मेरी हालत लगातार बिगड़ने लगी। ऑक्सीजन का स्तर 90 फीसद से कम आ गया। 24 दिन तक आइसीयू में मौत से लड़ता रहा। आखिर में मेरी जीत हुई। इस दौरान मैंने अपना आत्मबल कम नहीं होने दिया। डॉक्टर-नर्स भी भरोसा दिलाते रहे कि कुछ नहीं होगा। वह बहुत ही कठिन दिन थे। यह बीमारी किसी को नहीं होनी चाहिए। बचना बहुत आसान है, लेकिन संक्रमित होने के बाद जितनी फजीहत हुई है उसे बताने में भी डर लगने लगा है। मास्क लगाकर आप इस बीमारी से बच सकते हैं और दूसरों को भी बचा सकते हैं। भीड़ से बचने की भी जरूरत है। मैं पहले भी लोगों को इस बात की समझाइश देता था, लेकिन बीमार होने के बाद तो जो भी मिलता है उसे समझाता हूं कि मेरे जैसे कठिन दिन न देखने पड़ें, इसलिए खुद का और दूसरों का बचाव करें। अजय गुप्ता, कटारा हिल्स भोपाल