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अश्लील सामग्री वाले ग्रुप में शामिल होना भी अपराध, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

चंडीगढ़। सोशल मीडिया वो भी खासतौर पर WhatsApp पर यूजर्स के ग्रुप्स होते हैं जिनमें लोग तरह-तरह की सामग्री शेयर करते हैं। अगर इनमें से आप किसी ऐसे ग्रुप में जुड़े हैं जिनमें अश्लील सामग्री शेयर की जाती है तो आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है। ऐसा हम नहीं कर रहे बल्कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है। सोशल मीडिया पर अश्लीलता को नियंत्रित करने की दिशा में हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि अश्लील सामग्री प्रसारित होने वाले ग्रुप में शामिल सभी लोग इस अपराध में शामिल हो जाते हैं।

कोर्ट ने यह बात एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न मामले में आरोपित जसविंदर सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। जस्टिस सुवीर सहगल ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता की आपत्तिजनक वीडियो अपलोड होने वाले ग्रुप में याचिकाकर्ता की मौजूदगी उसकी अपराध में संलिप्तता साबित करती है।

यह है मामला

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मामला असल में रोपड़ थाने में पीड़िता के बयान पर दर्ज की गई इस एफआईआर का है जिसमें उसने आरोप लगाया है कि जब ट्यूशन वो पढ़ने के लिए एक महिला के घर जाती थी तो उसे वहां शराब व सिगरेट पीने व नशीले इंजेक्शन लेने के लिए बाध्य किया गया। इतना ही नहीं महिला ने उसकी अश्लील वीडियो बनाई व ब्लैकमेल करके उससे पैसे व गहने मंगवाने शुरू कर दिए।

एफआईआर में यह भी आरोप लगाए गए हैं कि आरोपित महिला ने नाबालिग की वीडियो सोशल मीडिया ग्रुप पर अपलोड कर दी, जिसमें जसविंदर सिंह भी था। इस मामले में पुलिस ने धारा 354 (मर्यादा भंग करना) व 354-ए (मर्यादा भंग करना व जबरदस्ती करना) के तहत मामला दर्ज किया था। बाद में इसमें धारा 384 (जबरदस्ती वसूली) व 120बी (आपराधिक साजिश) भी जोड़ दी गई।

आरोपित ने पीड़िता का जीवन तबाह किया, इसलिए जमानत नहीं

जसविदर सिह को अग्रिम जमानत का लाभ देने से इन्कार करते हुए जस्टिस सुवीर सहगल ने कहा कि आरोपितों के व्यवहार से पीड़िता ने लंबे समय तक मानसिक तनाव झेला है। आरोपित पीड़िता को धमकाता था, जिससे वो इतना डर गई कि उसने तीन साल तक अपनी पीड़ा अभिभावकों को भी नहीं बताई। याचिकाकर्ता एक यौन अपराधी है। उसकी वजह से लड़की का जीवन तबाह हुआ है।