भोपाल। कहते हैं कि एक बच्चे के लिए मां की ममता और पिता की प्यार भरी छांव बहुत जरूरी होती है। लेकिन ऐसा पिता भी है जो एक स्पेशल बच्चे को मां और बाप दोनों का प्यार दे रहा है। इंदौर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर आदित्य तिवारी संभवतः देश के सबसे कम उम्र के सिंगल पेरेंट हैं जिन्होंने एक स्पेशल बच्चे को गोद लिया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें एक विशेष बच्चे को गोद लेने में सफलता मिली। उन्हें दुनिया की बेस्ट मां के सम्मान से इस वर्ष सम्मानित किया गया। वे 22 माह के बच्चे को गोद लेने के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर देशभर में स्पेशल बच्चों के अभिभावकों को काउंसिलिंग देने और उन्हें मोटिवेट करने में जुटे हैं। वे 22 राज्यों में अपने बेटे के साथ वर्कशॉप में शामिल हो चुके हैं। उन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक सम्मेलन में भी विशेष बच्चों को संभालने पर बोलने के लिए बुलाया गया था।
बच्चे से आदित्य की मुलाकात आश्रयगृह में इत्तेफाक से हुई थी, लेकिन वे उसकी ओर खिंचते चले गए। उससे जुड़ाव महसूस करने लगे। उन्होंने एक जनवरी साल 2016 में इस स्पेशल बच्चे को गोद लिया था, जिसके लिए उन्होंने एक लंबी कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ी। डेढ़ साल के संघर्ष के बाद बेटे को घर लाने में सफल हुए। हालांकि इस फैसले के कारण उन्हें पारिवारिक व सामाजिक विरोध भी सहना पड़ा। उन्होंने अब शादी भी कर ली है और अब पत्नी का भी पूरा सहयोग मिलता है। अब उनका बेटा हर काम खुद कर लेता है और यूकेजी में पढ़ाई कर रहा है।
छह साल पहले लिया था गोद
आदित्य ने बताया कि वे अपने पिता के जन्मदिन पर 16 मार्च 2014 को एक आश्रयगृह के बच्चों को फल और गिफ्ट देने के लिए गए थे। वहीं पर वे इससे मिले। वह 5 माह का डाउन सिंड्रोम बच्चा था। जब उन्होंने बच्चे को गोद लेने के बारे में इच्छा जताई तो उन्हें इंकार मिला, क्योंकि वे कुंवारे थे और 28 वर्ष के थे। 30 से कम उम्र के लोगों को गोद लेने का कोई अधिकारी नहीं होता है। आदित्य हार नहीं मानें और वे बच्चे से मिलने जाते रहे, लेकिन बच्चे को दूसरे आश्रयगृह में भेज दिया गया। इसके बाद आदित्य ने केंद्र से लेकर राज्य सरकार, मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण में आवेदन दिया। उनके इस प्रयास से कानून में बदलाव कर गोद लेने वाले की उम्र को कम कर 30 से 25 वर्ष किया गया।