मकड़ाई समाचार उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के नजदीक खुदाई में मिले 1 हजार साल पुराने मंदिर की जांच के लिए भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण (एएसआइ) का दल अब तक उज्जैन नहीं पहुंचा है। मंदिर प्रबंध समिति ने दो दिन पहले विभाग के दिल्ली व इंदौर स्थित कार्यालय को पत्र लिखा था। जब तक दल नहीं आता खोदाई का काम रुका रहेगा। सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया मंदिर के समीप मिले पुरातात्विक महत्व के स्ट्रक्चर की जांच के लिए एएसआई के दिल्ली व इंदौर स्थित कार्यालय को पत्र लिखा है। सोमवार को भी अधिकारी विशेषज्ञों के आने का इंतजार करते रहे। लेकिन शाम तक दल उज्जैन नहीं पहुंचा। जब तक विशेषज्ञ आकर मौका मुआयना नहीं करते काम शुरू नहीं होगा। मंदिर समिति अब विशेषज्ञों की निगरानी में आगे की खुदाई करना चाहती है।
स्थानीय पुरातत्व विशेषज्ञ शुक्रवार को स्थल निरीक्षण करने पहुंचे थे। विक्रम विश्व विद्यालय की उत्खनन शाखा के डॉ.रमण सोलंकी का कहना था कि खोदाई में निकली दीवार मंदिर की है। यह उत्तर दिशा की दीवार प्रतीत होगी है। अगर आगे खोदाई की जाए, तो मंदिर का पूर्व दिशा का हिस्सा भी सामने आ सकता है। खोदाई में परमार काल के साथ विक्रमादित्य काल के पुरा अवशेष प्राप्त होने की संभावना भी है।
मंदिर के आसपास समाधियां भी मौजूद
महाकाल वन अनादिकाल से साधु संतों की तप स्थली रहा है। मंदिर में महानिर्वाणी अखाड़े का अस्तित्व भी है। मंदिर के आसापास ब्रह्मलीन साधु संतों की समाधियां भी हैं। जूना महाकाल मंदिर परिसर में भी कई समाधियां आज भी मौजूद हैं। सिंहस्थ 2016 के पहले महाकाल टनल निर्माण के समय भी खुदाई में कंकाल मिला था।