के ,के ,यदुवंशी मकड़ाई समाचार सिवनी मालवा । होशंगाबाद जिले में हर साल किसानों की फसल कुंटल में होती थी लेकिन पहली बार कई वर्षों के बाद किलो में भी नहीं हुई किसान संतोष पटवारे सेजल रघुवंशी ललित पाटिल सुरेंद्र कुशवाहा रघुवीर यदुवंशी ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है सोयाबीन की कटाई के बाद अब किसान खेतों को रवी की बोवनी के लिए तैयार करने में परेशान हैं और अपनी जेब से पैसे लगा कर के साफ करा रहे हैं। पहले से ही खेतों में लगी सोयाबीन की फसल नष्ट हो चुकी है। किसानों को हार्वेस्टर का खर्च भी लग रहा है । किसानों ने खेत साफ कराने की कोशिश भी की। कटाई के दौरान हार्वेस्टर से निकलने वाला किसानों के लिए
कचरा बना मुसीबत
अब किसानों के लिए खेत का कचरा मुसीबत बनता जा रहा है। बार-बार बारिश होने से कचरा जल नहीं रहा है। हार्वेस्टर से सोयाबीन की कटाई करानी मजबूरी है। सोयाबीन का कचरा बार-बार हो रही बारिश से गीला ही गया है। ऐसे में खेत बनाने में परेशानी आ रही है। लगातार बरसात के कारण अलग-अलग प्रकार का कचरा उग आया है। किसान भीमसिंह यदुवंशी ने बताया कि कि कई बार कल्टीवेटर चलाकर रोटावेटर किया, फायदा नहीं हुआ किसानों को डीजल का खर्च भी उठाना पड़ रहा है। किसान ने बताया कि खेती में लागत मूल्य बढ़ता जा रहा है। लगातार हो रही बारिश के कारण किसानों को उत्पादन नहीं मिल रहा है।
पहले अच्छी लगी थी फसल सोयाबीन की फसल शुरुआत में अच्छी लगी थी। फल की स्थिति पर आई तो अधिक बारिश से पूरी फसल खराब हो गई।सोयाबीन की कटाई करना किसानों की मजबूरी है
कटाई का खर्च भी नहीं निकल रहा है। क्योंकि बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन कम हो रहा है। उत्पादन कम होने से किसान कटाई का खर्च भी देने की स्थिति में नहीं है। खेती करना लगातार महंगा होता जा रहा किसानों का कहना है कि खेती का बोझ उठाना मुश्किल हो गया हैं, लेकिन फसल उगने के बाद बीमारी की चपेट में आ गई थी कीटनाशक, रासायनिक पदार्थ खरीदने के लिए पैसे बहुत ज्यादा खर्च हो गए हैं। खेत में सोयाबीन का कचरा उठाते हुए किसान।कचरा साफ करने में बढ़ी लागत जैसे-जैसे मजदूरों की व्यवस्था कर कचरा साफ कराया जा रहा है। इससे किसानों का खर्च और अधिक बढ़ गया है। । इससे उनकी लागत भी बढ़ गई है
बार-बार हो रही बारिश से खेतों की मिट्टी में नमी आ गई है। इससे कटाई के दौरान खेत में हार्वेस्टर चलने से मैं परेशानी आ रही है किसानों ने बताया कि खेत में बार-बार हर्वेस्टर चलने से खेत सख्त हो गए हैं। इस स्थिति में खेतों को बखरने में अधिक डीजल लग रहा है। क्योंकि किसानों को खेत बनाने में अधिक समय कचरा साफ कराने में लग रहा किसानों को बीवनी के लिए खेत तैयार करने में काफी समय और खर्चा लग रहा है। अभी गेहूं व चने की बुवाई में समय है।