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खंड्वा। मुख्यमंत्री जीवन अमृत योजना के तहत आयुर्वेदिक काढ़े के पैकेट बांटे जायेंगे

खंड्वा।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोविड-19 जैसी चुनौतियों से निपटने में उपचार की भारतीय पद्धति का भी उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि आज जिस तरह इस रोग ने पूरे विश्व को कष्ट में डाल दिया है, उससे यह प्रश्न उपस्थित हुआ है कि उपचार में किस तरह योग, मंत्र और संगीत आदि का उपयोग किया जाए। रोगी का मनोबल बढ़ाने के लिए क्या प्रयास हों। कई रोग स्नेह से ठीक होते हैं लेकिन कोविड-19 जैसे रोग के लक्षण वाले बालक को उसकी माँ ही सिर पर हाथ नहीं रख सकती। श्री चौहान ने कहा कि रोगी के उपचार की प्रचलित विधियों के साथ ही भारतीय परंपरा में विद्यमान मौलिक विधियों को उपयोग में लाया जा सकता है। एक स्थिति रोग होने के बाद उपचार की होती है। दूसरी स्थिति यह होती है कि शरीर को इतना रोग प्रतिरोधी बना दिया जाए कि रोग पास ही न आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में आयुर्वेद के विद्वानों, प्राकृतिक चिकित्सा के जानकारों, आध्यात्मिक गुरुओं और विभिन्न वर्गों से विचार-विमर्श कर समाधान का मार्ग निकाला जाना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि कोविड-19 की चुनौती से निपटने में मध्यप्रदेश में आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग की बात अन्य प्रांतों तक पहुंची है। निश्चित ही इस उपयोगी काढ़े के व्यापक उपयोग पर ध्यान दिया जा सकता है।

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एक करोड़ लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा के पैकेट्स का निःशुल्क वितरण होगा

मुख्यमंत्री  चौहान ने बताया कि जीवन अमृत योजना में आयुष विभाग के सहयोग से मध्य प्रदेश लघु वनोपज संघ ने आयुर्वेदिक काढ़ा के 50-50 ग्राम के पैकेट्स तैयार किए हैं। ये पैकेट्स ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में लगभग एक करोड़ व्यक्तियों को निःशुल्क वितरित किया जा रहा है।
इस आयुर्वेदिक इस काढ़े को बनाने की विधि बहुत सरल है। पीपल, सोंठ एवं कालीमिर्च को समान मात्रा में मिलाकर, कूटकर तैयार किए जाने त्रिकटु चूर्ण को 3-4 तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में उबालना होता है। जब पानी आधा रह जाता है, तब ये काढ़ा तैयार हो जाता है।  एक-एक कप कुनकुना काढ़ा दिन में तीन से चार बार  पिया जा सकता है। यह किसी रोग के न होने पर भी यह उपयोगी  है और शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता निर्मित करता है।