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गूगल ने मांगा शुल्क, स्टार्ट-अप्स बिफरे, जानिए क्या है पूरा मामला

Google Play Billing System: पिछले दिनों डिजिटल पेमेंट सर्विस पेटीएम को कुछ घंटों के लिए प्ले स्टोर से बाहर रखकर विवादों में घिरी अमेरिकी इंटरनेट दिग्गज गूगल एक बार फिर स्टार्ट-अप्स के निशाने पर है। गूगल ने मंगलवार को कहा कि उसके प्ले स्टोर के माध्यम से डिजिटल सामग्री बेचने वाले एप को गूगल प्ले बिलिंग प्रणाली का इस्तेमाल करना होगा और एप से हुई बिक्री का एक प्रतिशत हिस्सा शुल्क के तौर पर देना होगा। कई भारतीय स्टार्ट-अप कंपनियों ने गूगल के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि ई-सर्विसेज की बिक्री करने वाले एप डेवलपर्स को गूगल अपने प्ले बिलिंग भुगतान तंत्र का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है। बहुत से स्टार्ट-अप्स ने यह भी कहा है कि देश को एक स्थानीय एप स्टोर की जरूरत है।

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गूगल के मुताबिक हर डेवलपर को अगले वर्ष सितंबर से गूगल बिलिंग प्रणाली का इस्तेमाल करना होगा। हालांकि यदि डेवलपर कोई भौतिक वस्तु या अपनी वेबसाइट के जरिये भुगतान लेता है, तो उसे प्ले बिलिंग की जरूरत नहीं होगी। गूगल ने मंगलवार को कहा कि उसकी बिलिंग प्रणाली के इस्तेमाल की नीति पहले से बनी हुई है, लेकिन इसे स्पष्ट करने की जरूरत थी। गूगल की निदेशक (कारोबार विकास, गेम और एप्लिकेशंस पूर्णिंमा कोचिकर ने कहा कि हमारी प्ले बिलिंग नीति लंबे समय से अस्तित्व में है और इस वक्त हम सिर्फ उसके बारे स्थिति और स्पष्ट कर रहे हैं। हाल की घटनाओं से हमने महसूस किया है कि नीतियों को स्पष्ट करना और उन्हें समान रूप से लागू करना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक डेवलपर जो गूगल प्ले के जरिये अपनी डिजिटल सामग्री को बेचता है, उन्हें प्ले बिलिंग का इस्तेमाल करना होगा।

बहुत से स्टार्ट-अप का कहना है कि देश में करीब 98 प्रतिशत मोबाइल फोन उपयोगकर्ता एंड्रॉयड आधारित फोन का प्रयोग करते हैं। ऐसे में एप स्टोर के मामले में गूगल का एकाधिकार है, जिसका वह दुरुपयोग कर रही है। एक तरफ भारतीय अदालतों में गूगल यह कहती है कि उसे आरबीआइ के प्रमाणन की जरूरत नहीं, क्योंकि वह पेमेंट सिस्टम नहीं है। दूसरी तरफ वह अपने बिलिंग व पेमेंट सिस्टम का ही उपयोग करने को बाध्य कर रही है।