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गेंदे के पौधे लगाकर रोक सकते हैं हानिकारक गाजर घास का फैलाव

कोरबा। गेंदा का फूल न केवल हमारे घर-आंगन और खेतों को खूबसूरत रंगत से नवाजते हैं, बल्कि सेहत और खेती को नुकसान पहुंचाने वाले गाजर घास के फैलाव को रोकने में भी मददगार साबित हो सकते हैं। हर दृष्टि से मनुष्य और पशुओं के लिए रोग व अन्य नुकसान का कारण बनने वाले गाजर घास से मुक्ति पाने अक्टूबर-नवंबर में किसान अपने खेतों के आसपास के क्षेत्रों में गेंदे के पौधे लगाकर इस खरपतवार को फैलने से रोक सकते हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र कटघोरा के तत्वावधान में पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम भांवर, सोनपुरी व लखनपुर में गाजर घास उन्मूलन सप्ताह मनाया गया। 16 से 22 अगस्त के बीच आयोजित कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने गांव के कृषकों को गाजर घास के नुकसान व उनसे मुक्ति के उपाय की जानकारी प्रदान की। केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके उपाध्याय ने बताया कि गाजर घास यह एक प्रकार का खरपतवार है, जो वर्ष भर उगता, फलता व फूलता रहता है।

इसका फूल सफेद व पत्तियां गाजर के समान होती हैं, इसलिए इसे गाजर घास कहा जाता है। प्रशिक्षण में ग्रामीण कृषकों को इस खरपतवार से नियंत्रण के लिए आवश्यक सुझाव प्रदान किए गए। उन्हें बताया गया कि घर-बाड़ी के आसपास इनकी मौजूदगी दिखाई देने पर तत्काल गाजर घास को उखाड़कर जला देना चाहिए। ऐसा न हो पाया तो फूल आने के पहले ही पौधों को उखाड़कर कंपोस्ट पिट में डालकर खाद बना लेना चाहिए।

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एक्जिमा, एलर्जी, दमा की बीमारी

केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. उपाध्याय ने बताया कि गाजर घास क्या है और उससे मनुष्य, पशु और पर्यावरण को किस तरह से हानि को रही। उन्होंने इस संबंध में किसानों से चर्चा कर विस्तार से मार्गदर्शन प्रदान किया। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि गाजर घास से मनुष्यों में त्वचा संबंधी रोग, एक्जिमा, एलर्जी, दमा जैसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। इन बीमारियों में खासकर दमा के रोगियों के लिए गाजर घास के फूलों से निकलने वाले परागकण काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इस तरह के रोगों के बचने के लिए गाजर घास को अपने आसपास पनपने से रोकने का प्रयास जरूरी है। इसी तरह दुधारू पशुओं के खाए जाने पर गाजर घास के असर से उसके दूध में कड़वापन आता है।

गाजर घास को नष्ट करने की रासायनिक विधि

कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके महोबिया ने गाजर घास को नष्ट करने और इसके फैलाव को नियंत्रित करने की रासायनिक विधियों की जानकारी प्रदान की। डॉ. महोबिया ने बताया कि गाजर घास में फूल आने के पहले ग्लायफोसेट 1.0-1.5 फीसद या मेट्रीब्यूजिन 0.3-0.5 फीसद घोल का छिड़काव करने पर इससे निजात पाकर उससे होने वाली हानि से बचा जा सकता है। इसके अलावा इस खरपतवार के नियंत्रण के लिए अक्टूबर-नवंबर में खेत के आसपास के क्षेत्रों में गेंदे के पौधे लगाकर फैलाव और वृद्धि को रोका जा सकता है। इस तरह गेंदा लगाकर गाजर घास को रोकने के साथ हम अपने खेतों के आसपास खूबसूरती बिखेर सकते हैं।