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गोलमाल है भाई सब कुछ गोलमाल है : पैसों का खेल भी अजब है गजब है, न नियम न कानून 25 लाख रुपये ऋण ली हुई बंधक भूमि का हो गया नामांतरण

तात्कालिन तहसीलदार ,शाखा प्रबंधक की आपत्ति के बाद भी वर्तमान तहसीलदार पटवारी ने करवा दिया नामांतरण, रजिस्ट्रार ने भी कर दी रजिस्ट्री

सोनू ढोके, ओम केरवार की ग्राउंड रिपोर्ट
मकड़ाई समाचार हरदा/रहटगॉव। पैसों का खेल भी अजब है गजब है। राजस्व विभाग में जब ईमानदार आदमी भूमि की रजिस्ट्री करवाने जाता है तो उसे सैकड़ो बार कागजो की कमी बताकर टरका दिया जाता है। तारिक पर तारिक दी जाती है। लेकिन जब कोई भूमाफिया जाता है तो उसकी खातिरदारी होती है। यहां पर गरीब व्यक्तियों को नियमो का पाठ पढ़ाया जाता है। और अमीरों के काम तमाम आपत्तियों गड़बड़ियों के बाद भी कम समय मे हो जाया करते है। ऐसा ही एक मामला रहटगॉव तहसील के ग्राम फुलड़ी में देखने को मिला। जहाँ बैंक में 25 लाख रुपये के ऋण में बंधक भूमि को बैंक की आपत्ति के बाद दबंग किसान द्वारा बेच दिया जाता है। जानकारी के अनुसार एक विवादित भूमि पर तहसीलदार पटवारी की साठ गांठ से मनमाने तरीके से न्यायालय के आदेश बैंक की आपत्ति के बाद भी नामांतरण करा दिया गया।

क्या है पूरा मामला :-

ग्राम फुलड़ी में किसान दिलीप गौर पिता भागीरथ गौर की फुलड़ी पटवारी हल्का न 21 खसरा न 96 क्षेत्रफल 1.189 हेक्टेयर एवं अन्य भूमि पंजाब नेशनल बैंक टेमागॉव में बंधक है। उक्त भूमि पर 25 लाख रुपये का ऋण है। दिलीप गौर द्वारा उक्त भूमि से दो खसरे 96/1 क्षेत्रफल 0.809 है । अपने बड़े भाई हरिप्रसाद गौर को बटवारे में दे दिया भाई के साथ भी धोखाधड़ी जिस भूमि पर लिया 25 लाख का ऋण उसे चुकाए बिना ही भाई को बंटवारे में दे दी गई। दिलीप गौर द्वारा अपने सगे भाई के साथ भी धोखा किया । बड़ा भाई हरिप्रसाद बंटवारे में मिली भूमि से 25 लाख का ऋण कटवाने के लिए एक वर्ष से जिला कलेक्टर एसडीएम एसपी के चक्कर लगा रहा। अब इसी कलयुगी भाई ने प्रशासन को गुमराह करते हुए। बंधक भूमि का एक खसरा न 96/2 क्षेत्रफल 0.38 है। लगभग 5 लाख में बेच दिया। दिलीप द्वारा लगभग 1 वर्ष पूर्व इसमें से एक खसरा बेचने की फिराक में था। उसने एक अन्य व्यक्ति को बेचने के लिये तहसीलदार कार्यालय में दस्तावेज प्रस्तुत किया। इसकी जानकारी जब बैंक अधिकारियो को लगी की दिलीप गौर यह जमीन बेचने वाला है। उक्त भूमि पर 25 लाख का ऋण होने के कारण तात्कालीन बैंक शाखा प्रबंधक ने तहसील कार्यालय रहटगॉव तहसीलदार को पत्र क्रमांक 99 अ 6 वर्ष 2019 20 दिनांक 05/09/2019 भेजकर इस जमीन को कूर्द बुर्द व बेचने पर आपत्ति लगाई थी।

बैंक ने अपने पत्र के तहसीलदार महोदय को लिखा

उक्त लोन हेतु दिलीप गौर पिता भगीरथ गौर की कृषि भूमि पटवारी हल्का 21 खसरा न 96 क्षेत्रफल 1.189 हेक्टेयर एव अन्य भूमि को बैंक ने बंधक किया गया है। बैंक द्वारा उक्त एवं अन्य भूमि पर 25 लाख रुपये का ऋण नोट कराया गया। ज्ञात हो कि उक्त खसरा 96 को दिलीप गौर पिता भगीरथ गौर द्वारा बटवारा कराया गया। और जमीन के दो खसरे 96/1 क्षेत्रफ़ल 0.809 है। व 96/2 क्षेत्रफल 0.38 है। जो किसी अन्य व्यक्ति को बेच दी है। नामातंरण कराना बाकी है। बैंक ने  लिखा  कि उक्त भूमि पर ऋण जमा नही हुआ है। और NOC नही ली गई। और गैर कानूनी तरीके से जमीन बेच दी गई। जमीन के नामातंरण पर रोक लगाई जाए।

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तात्कालीन तहसीलदार ने भी थमाया था नोटिस, वर्तमान तहसीलदार ने कर दिया नामांतरण

दिलीप गौर एक भूमाफिया भी है। इस पर कई सगिन आरोप लगे हुए है। इनामी बदमाश रह चुका उस पर थाने में भी अपराध दर्ज है। इसने अपने सगे भाई के साथ भी धोखाधड़ी की है। जो आज भी न्याय के लिये कोर्ट कचेहरी के चक्कर लगाने को मजबूर है। उक्त विवादित भूमि दिलीप गौर द्वारा बेचने की जानकारी लगने पर बैंक के पत्र के बाद तात्कालीन तहसीलदार ने भी स्पस्ट पत्र क्रमांक 99/अ/-6 वर्ष 2019-20 दिनांक 3/10/2019 के माध्यम से ख़रीदद्दार मंगलेश रामप्रसाद मण्डलेकर को जारी किया था। पत्र में लिखा था कि उक्त विवादित भूमि पर हल्का पटवारी द्वारा प्रतिवेदन चाहा गया जिसमें पंजाब नेशनल बैंक को आपत्ति ओर ऋण पाया गया। उसी आधार पर इस भूमि को बेचने पर रोक लगा दी गई।

पंजाब नेशनल बैंक शाखा प्रबंधक तात्कालीन तहसीलदार की आपत्ति को दिखाया ढेंगा बंधक भूमि का हो गया स्थानांतरण, हो गई रजिस्ट्री

बंधक भूमि बैंक की आपत्ति, तात्कालीन तहसील दार की आपत्ति के बाद भी रहटगॉव तहसीलदार ने कैसे उसका नामातंरण करवा दिया यह जांच का विषय है। पटवारी की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे कि जब जानकारी होते हुए भी आपने क्या प्रतिवेदन तहसील कार्यालय में दिया। वनांचल में ऐसे कई गरीब अदिवासी किसान है। जो नामातंरण ऋण पुस्तिका बनबाने के लिये सालों से परेशान होते रहते है लेकिन दुर्भाग्य कहे कि ऐसे भ्रस्ट अधिकारियों बाबुओं के कारण कई लोग महीनों सालों तहसील कार्यालय के चक्कर लगाते रहते है। हजारो रुपये सैलरी लेने वाले इन बाबु बिना पैसे लिए फाइल तक नही खोलते। गांधी छाप नोटो के आगे न कानून न नियम यहां मनमर्जी से अधिकारी काम करके घर पहुच सेवा तक दे देते है। परेशान तो बस आज के जमाने मे सिर्फ ईमानदार गरीब ही हो रहा है। उसे न तो समय से बैंक से ऋण मिलता है और न ही उसके जमीन के नामातंरण बंटबारे जैसे काम होते है। भ्रस्ट अधिकारी पैसा लेकर गलत को सही और सही को गलत करने से नही चूकते। इसी का उदाहरण है कि बैंक में जो भूमि 25 लाख रुपये में बंधक है। बैंक प्रबंधक सहित तात्कालीन तहसीलदार की आपत्ति के बाद भी बिक जाती है। उसका नामातंरण हो जाता है। और रजिस्ट्रार भी उसकी रजिस्ट्री कर देता है। नवागत जिला कलेक्टर से उम्मीद है कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए जांच की जाए। दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो। ताकि रिश्वतखोरों पर अंकुश लगे। आमजन मानस का समय पर काम हो सके।

इनका कहना है
मेरी जानकारी में नही है देखना पड़ेगा कब का मामला है।
संगीता मेहतो प्रभारी तहसीलदार रहटगॉव

में अभी दो महीने पहले ही आया हु, मुझे जानकारी नही है। आप तहसीलदार मेडम से बात करो।
श्री बैरागी हल्का पटवारी फुलड़ी

दिलीप गौर ने बैंक से 25 लाख का ऋण उक्त भूमि पर लिया है। हमारी ओर से माननीय तहसीलदार रहटगॉव को पूर्व में पत्र लिखकर आपत्ति लगाई थी कि भूमि के नामातंरण पर रोक लगे। यह गेर कानूनी है। हम किसान को भी वसूली के लिए नोटिस जारी करेंगे। वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत करायेगे। उन्ही के मार्गदर्शन में आगे की कार्यवाही होगी।
श्री देवेंद्र साहू शाखा प्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक टेमागॉव