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ग्राम एवं नगर के जन्म-दिवस स्थानीय निवासियों के लिए गौरव दिवस की तरह

भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसी नगर या ग्राम के जन्म-दिवस मनाने का पर्यावरण और विकास हितैषी नया विचार है। किसी ग्राम या नगर का जन्म-दिवस वहां रहने वाले लोगों के लिए गौरव दिवस की तरह होगा। प्रदेश में इसकी शुरूआत सीहोर जिले के ग्राम जैत से हो रही है। आठ फरवरी को प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री श्री चौहान अपने पैतृक ग्राम जैत में नागरिकों के साथ पौधे लगाएंगे। अन्य स्थानों पर भी भविष्य में ऐसे कार्यक्रम होंगे, जो स्थानीय नागरिकों को अपने ग्राम और नगर की प्रगति के लिए सदैव योगदान देने का संकल्प लेने का अवसर भी बनेंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज स्मार्ट उद्यान में पौध-रोपण कर यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जी न्यूज की टीम के साथ मौलश्री, केसिया, गुलमोहर और सप्तपर्णी के पौधे लगाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जी न्यूज की टीम को बधाई दी। जी-न्यूज एमपी-सीजी के एडिटर श्री मोहित सिन्हा, श्री प्रमोद शर्मा, श्री वासु चौरे आदि उपस्थित थे।

हर व्यक्ति लगाए वृक्ष, उसकी देखभाल भी करे

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मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्वयं एवं परिजन के जन्म-दिवस, परिवार के दिवंगत सदस्यों की जयंती और पुण्य-तिथि पर पौधा लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा सगाई और विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर भी पौधे लगाने का कार्य हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति पौधे लगाने के साथ उसकी देखभाल का जिम्मा भी सम्हाले। हरीतिमा बढ़ाने के लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना है। अंकुर अभियान में भी पौधा लगाने, उसका चित्र वेबसाइट पर अपलोड करने और समय-समय पर पौधे के विकास के संबंध में विवरण दर्ज करने की व्यवस्था की गई है। इस अभियान से बड़ी संख्या में प्रदेश के नागरिक जुड़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गत वर्ष नर्मदा जयंती से उन्होंने प्रतिदिन एक पौधा लगाने का अभियान शुरू किया था, जो निरंतर चल रहा है। पर्यावरण संरक्षण के इस प्रयास को जारी रखा जाएगा। इसके स्वरूप में परिवर्तन हो सकता है, लेकिन आमजन तक हरियाली के विस्तार का संदेश किसी न किसी माध्यम से अवश्य पहुँचता रहेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पृथ्वी का तापमान वर्ष 2050 तक दो डिग्री सेल्सियस बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई है। धरती संकट में है। इसे देखते हुए हम सभी को पर्यावरण शुद्ध रखने और कार्बन उत्सर्जन को शून्य तक ले जाने के सम्मिलित प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज ऊर्जा संरक्षण भी आवश्यक है। इंदौर में कचरे से सीएनजी संयंत्र की पहल इसी दिशा में एक कदम है। हमें अपनी नदियों को भी संरक्षित करना है। गंगा जी की तरह नर्मदा जी के किनारे प्राकृतिक खेती के लिए भी मध्यप्रदेश में प्रयास किए जाएंगे।

मेरे लिए मंदिर जैसा है मध्यप्रदेश

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश उनके लिए मंदिर जैसा है। बेटियाँ हमारे लिए वरदान की तरह है। मध्यप्रदेश में पहले लिंगानुपात प्रति एक हजार – 914 था, जो बढ़कर 956 हुआ है, अर्थात बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करने के अच्छे परिणाम हम देख रहे हैं। मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की गई। मुस्कान अभियान बच्चियों को अपराधों से बचाने की दिशा में किया गया उपक्रम है। साथ ही बेटियों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित हैं। पर्यावरण संरक्षण से भी बेटियाँ जुड़ रही हैं। अनेक सामाजिक संगठन भोपाल में पौध-रोपण के लिए आगे आए हैं। इनमें बेटियाँ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी तभी पूरी की जा सकती है, जब हम इस कार्य के‍लिए समय निकालें। दृढ़ इच्छा-शक्ति हमसे ऐसा समय निकलवा सकती है। आज पर्यावरण क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाली कई संस्थाएँ सामने आयी हैं।