ब्रेकिंग
Ladli bahna: मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लाडली बहनों के खाते में राशि अंतरित की टिमरनी: एस.डी.ई.आर.एफ. ने टिमरनी फॉरेस्ट डिपो में आम नागरिकों को दिया नागरिक सुरक्षा का प्रशिक्षण Harda: पुलिस, राजस्व व खनिज विभाग का दल अवैध उत्खनन रोकने की कार्यवाही करें! कलेक्टर श्री जैन ने बैठ... लव जिहाद हंडिया : 16 साल की किशोरी को बहला फुसलाकर भगा ले गया 27 साल का अफराज, भेरूंदा में पकड़ाया, ... हरदा: छिदगांव मेल में बांस मेला व प्रदर्शनी सम्पन्न, कलेक्टर श्री जैन बोले बांस उत्पादों के विक्रय क... हरदा: बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की सेम्पलिंग नियमित रूप से की जाए! कलेक्टर श्री जैन ने बैठ... हंडिया: हरदा में भारत शौर्य तिरंगा यात्रा को लेकर हंडिया में भाजपा ने बैठक कर बनाई रणनीति, क्या बोले... Sirali: असामाजिक तत्वों ने शिव मंदिर में मूर्तियों को किया खंडित सिराली पुलिस ने FIR दर्ज की! आरोपिय... मगरधा: गरीब आदिवासियों को मालगुजार ने वर्षों पहले रहने खाने को दी जमीन , अब मालगुजार की चौथी पीढ़ी न... हंडिया: हंडिया की नालियों में नहीं हंडिया की सड़कों पर बहता है गंदा पानी।पुख़्ता इंतजाम नहीं होने से ...

टेसू आया टेस से, पैसा निकालो जेब से” बच्चों के अनोखे खेल से जिंदा है प्राचीन परंपरा

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 हंडिया। प्राचीन काल से ही क्षेत्र में टेसू उत्सव मनाने की परम्परा रही है पुरानी परम्परा का निर्वहन करते हुए क्षेत्र में टेसू उत्सव बच्चों के द्वारा बड़े ही उत्सव के साथ मनाया जाता हैं। इन दिनों बच्चे टेसू के पुतले को आकर्षक ढंग से सजाकर घरों- घर पहुंचते हैं। और गीत गाकर बदले में अनाज व नगद राशि एकत्रित करते हैं।

- Install Android App -

यह बच्चे “टेसू आया टेस से पैसा निकालो जेब से” गीत गाकर आनंद व मस्ती से इस त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार एकादसी से प्रारंभ होकर शरद पूर्णिमा की रात्रि तक चलता है। बच्चों द्वारा बड़ी रोचकता के साथ गीत की प्रस्तुति दी जाती है इसके कारण इस त्यौहार को हर वर्ग समर्थन करता है। शरद पूर्णिमा के दिन इन बच्चों के द्वारा टेसू की बारात भी निकाली जाती है।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस परंपरा का निर्वाह छोटे छोटे बच्चे करते आ रहे हैं । आधुनिकता के दौर में भी इन लुप्त हुए लोक उत्सव को जिंदा रखने के लिए बच्चो के प्रयासों की लोगों द्वारा प्रशंसा की जा रही है, वहीं बच्चों ने बताया कि इस परंपरा के निर्वाह के दौरान हमें जो राशि अथवा सामग्री मिलती है उसका उपयोग हम शरद पूर्णिमा को करते हैं।