उत्तराखंड 2025 तक राज्य को नशा-मुक्त देवभूमि बनाया जाना |जिस थानाक्षेत्र में भी ड्रग्स का काला कारोबार होता पाया सीधे-सीधे उस इलाका थानाध्यक्ष को इसके लिए जिम्मेदार मानकर, उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करके निपटा दिया जाएगा|
उत्तराखंड| राज्य में किसी भी कीमत पर ड्रग्स का काला कारोबार नेस्तनाबूद करने पर अड़ी उत्तराखंड सरकार| इस धंधे में जाने-अनजाने लिप्त मिले अपनों को भी बख्शने के मूड में कतई नहीं है.ड्रग्स के काले कारोबार की खरीद-फरोख्त की जब-जब कहीं चर्चा होती है, तब-तब उसमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से पुलिस की कथित “मिली-भगत” ही सामने आती है|उत्तराखंड राज्य पुलिस ने तो इस काले कारोबार में शामिल अपने कई वर्दीधारियों को गिरफ्तार करके जेल में भी ठूंस रखा है| इस तमाम कसरत के बाद भी जब राज्य में ड्रग्स माफिया पर नकेल नहीं कसी गई तो, पुलिस महकमे ने अपनों को ही पहले काबू करने का अभियान छेड़ दिया है. इस अभियान के तहत अब जिस थानाक्षेत्र में भी ड्रग्स का काला कारोबार होता पाया जाया. सीधे-सीधे उस इलाका थानाध्यक्ष को इसके लिए जिम्मेदार मानकर, उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करके निपटा दिया जाएगा|
इतना ही नहीं राज्य में ड्रग्स माफिया को बेदम करने के लिए राज्य पुलिस मुख्यालय ने और भी कई योजनाएं बनाई हैं. इन्हीं योजनाओं के तहत अपनों की नकेल कसने के साथ-साथ अब त्रिस्तरीय एण्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) की मासिक समीक्षा भी खुद सूबा पुलिस के सर्वे-सर्वा यानी पुलिस महानिदेशक करेंगे. मतलब अब यह तय है कि राज्य में किसी भी कीमत पर ड्रग्स का काला कारोबार नेस्तनाबूद करने पर अड़ी उत्तराखंड सरकार इस धंधे में जाने-अनजाने लिप्त मिले अपनों को भी बख्शने के मूड में कतई नहीं है. टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में इन तमाम तथ्यों की पुष्टि खुद राज्य पुलिस महानिदेशक आईपीएस अशोक कुमार ने की है. पुलिस महानिदेशक के मुताबिक, “अपनों पर नजर रखने के लिए स्टेट एण्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को जिम्मेदारी दी गई है.”
स्टेट एण्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स इस काले कारोबार के अड्डों को पहचानने के साथ ही साथ. इस तथ्य की सूचना भी सरकार और पुलिस को देगी कि किस थाना क्षेत्र में, ड्रग्स का कारोबार हो रहा था? स्टेट एण्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर ही, संबंधित थाने का इंचार्ज/एसएचओ निपटाया जाएगा. इतना ही नहीं ऐसे दोषी पाए गए थाना इंचार्ज/इंस्पेक्टर-सब इंस्पेक्टर के रिकॉर्ड में बाकायदा यह दर्ज किया जाएगा कि, उसे उसके इलाके में ड्रग्स का काला कोराबार काबू न कर पाने के चलते पद से हटाया गया है. ताकि आइंदा उसे जहां तक संभव हो सके जल्दी कहीं किसी संवेदनशील पद पर तैनाती ही न मिल सके. दरअसल इस तमाम कवायद के पीछे राज्य सरकार की सख्त योजना मानी जा रही है. जिसके मुताबिक सन् 2025 तक राज्य को नशा-मुक्त देवभूमि बनाया जाना है. इसी लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते त्रिस्तरीय एण्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) गठित की गई है.