हरदा न्यूज: …तो क्या ज्ञानेश्वर काले व श्रीमती भावना काले की सेवा समाप्त हो गयी है ? – जिला सहकारी केंद्रीय बैंक का मामला
मकड़ाई समाचार हरदा। जी हां, चल रही चर्चा के मुताबिक सहकारी बैंक राशि गबन मामले में बैंक स्टाफ उप समिति की बैठक पिछले माह थी। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में ज्ञानेश्वर और भावना काले की सेवा समाप्ति के निर्णय को लेकर भारी चर्चा है।
मिली जानकारी के अनुसार स्टाफ कमेटी की बैठक में ज्ञानेश्वर और भावना काले दोनों लिपिक को 43 लाख के गबन धोखाधड़ी के मामले में बर्खास्त कर दिया गया है । सूत्रों की मानें तो 28 तारीख में आदेश जारी हो चुके हैं । हरदा की एक बीज समिति में फर्जी एडवाइस के जरिए राशि जमा करते थे और चेक बुक ( समिति की चेक बुक इनके पास ही रहती थी) से रकम निकाल लेते थे। एक आरोपी को पहले दोषी पाया था बाद में जांच कराने के बाद उसे निर्दोष पाकर आरोप से बरी कर दिया गया है । मामला 2015 का है । तत्कालीन अधिकारी दुबे ने जांच को छः साल लटकाये रखा । निलंबन की अवधि में भावना और ज्ञानेश्वर दोनों को करीब चालीस लाख वेतन दिया जाता रहा ।
क्या है पूर्व का मामला –
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शाखा – खिरकिया से बालाजी बीज उत्पादक कृषि आदान सहकारिता मर्या. सक्तापुर के सेविंग खाता में राशि जमा हेतु संयुक्त सील से राशि रू. 43.05 लाख की जारी केडिट एडवाइज पर लिपिक / सहायक लेखापाल के स्थान पर समिति प्रबंधक के हस्ताक्षर थे, शाखा प्रबंधक के स्थान पर ज्ञानेश्वर काले लिपिक के हस्ताक्षर थे।
मिली जानकारी में उक्त प्रकरण में पुलिस थाना हरदा में दोषियों के विरूद्ध अपराध दर्ज हो चुका है तथा चालान प्रस्तुत हो चुका है। जाँच अधिकारी के जाँच निष्कर्ष में आरोप प्रमाणित पाये गये हैं।
मिली जानकारी में उक्त प्रकरण को जाँच अधिकारी के जाँच निष्कर्षो सहित बैंक स्टाफ उप समिति की बैठक के समक्ष प्रस्तुत किया गया। स्टाफ उप समिति द्वारा श्रीमति भावना काले, निलंबित लिपिक की व्यक्तिगत सुनवाई की गई। व्यक्तिगत सुनवाई में श्रीमति काले उपस्थित हुए एवं लिखित तथा मौखिक कथन किये गये जो जांच के निष्कर्षो के लिए समाधानयुक्त नहीं पाये गये। प्रकरण में विभागीय जांच अधिकारी द्वारा दिये गये जांच निष्कर्षो अनुसार आरोप सिद्ध बताये गये हैं। उक्तानुसार संपूर्ण प्रकरण का स्टाफ कमेटी में विचार-विमर्श उपरांत प्रकरण की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए श्रीमति काले के प्रस्तावित दंड में किसी प्रकार की कमी नहीं करते हुए श्रीमति काले को “सेवा समाप्त करना’ के दंड से दंडित किये जाने का सर्वसम्मति से निर्णय पारित किया गया है।
देखना यह है कि उक्त काले दंपति की बर्खास्तगी की चल रही चर्चा असल रूप में कब सामने आती है।