ब्रेकिंग
विद्यार्थी समाज एवं राष्ट्र के पुनरूत्थान के लिये पढ़ाई करें - मंत्री श्री सारंग: हरदा जिले के 652 वि... हरदा: प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग ने भाजपा जिला कार्यालय में कार्यकर्ताओ से भेंट की  कृषि विभाग के दल ने फसलों का निरीक्षण कर किसानों को दी सलाह टिमरनी के भ्रष्टाचार व अव्यवस्था की पोल न खुल जाये इसलिए भाजपा नेताओं व प्रशासन ने प्रभारी मत्री को ... डी.ए.पी. खाद/यूरिया किसानों की मांग अनुसार तत्काल उपलब्ध कराई जावे:- हरदा विधायक डॉ. दोगने समाजसेवी स्व. अशोक (सर) विश्वकर्मा की पुण्यतिथि पर अस्पताल में बांटे फल और बिस्किट, किया वृक्षारोपण मप्र मौसम: प्रदेश के 20 जिलों मे अगले 24 घंटे मे भारी बारिश का अलर्ट देरी से पहुचने वाले 42 कर्मचारियो से कलेक्टर ने कान पकड़कर माफी मंगवाई! समय की लापरवाही बर्दाश्त नहीं... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 4 जुलाई 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे Today news mp: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका के पद हेतु आज 4 जुलाई अंतिम तारीख

धरती से निकली हैं धमतरी की मां विंध्यवासिनी, देश विदेश से दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु

धमतरी। जंगलों के बीच धरती से निकली मां विंध्यवासिनी देवी की ख्याति बिलाई माता के रूप में है। शहर के अंतिम छोर पर दक्षिण दिशा में स्थित मंदिर में चैत्र और क्वांर नवरात्र में देश-विदेश में रहने वाले देवी भक्त जोत प्रज्वलित कराते हैं।

मंदिर का इतिहास
माता की उत्पत्ति के संबंध में मार्कण्डेय पुराण देवीमाहा 11/42 में उल्लेख है। मंदिर के संदर्भ में दो जनश्रुति प्रचलित है। पहली जनश्रुति के अनुसार मूर्ति की उत्पत्ति धमतरी के गोड़ नरेश धुरूवा के काल की है और दूसरी है कि कांकेर नरेश के शासनकाल में उनके मांडलिक के समय की है। जहां देवी का मंदिर है, वहां कभी घना जंगल था।

- Install Android App -

जंगल भ्रमण के दौरान राजा के घोड़ों ने एक स्थान से आगे बढ़ना छोड़ दिया। खोजबीन करने पर राजा को एक छोटे पत्थर के दोनों तरफ जंगली बिल्लियां बैठी दिखाई दीं, जो अत्यंत डरावनी थीं। राजा के आदेश पर पत्थर को निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन पत्थर बाहर आने के बजाय वहां से जल की धारा फूट पड़ी। इसके बाद राजा को स्वप्न में देवी ने कहा कि उन्हें वहां से निकालने का प्रयास व्यर्थ है। उसी स्थान पर पूजा-अर्चना की जाए।
राजा ने वहीं पर देवी की स्थापना करवाई।
कालांतर में इसे मंदिर का स्वरूप प्रदान किया गया। प्रतिष्ठा के बाद देवी की मूर्ति स्वयं ऊपर उठीं और आज की स्थिति में आई। पहले निर्मित द्वार से सीधे देवी के दर्शन होते थे। उस समय मूर्ति पूर्ण रूप से बाहर नहीं आई थी, किंतु जब पूर्ण रूप से मूर्ति बाहर आई तो चेहरा द्वार के बिल्कुल सामने नहीं आ पाया, थोड़ा तिरछा रह गया।
मंदिर की विशेषता
मां विंध्यवासिनी देवी की मूर्ति काली है। उन्हें विंध्यवासिनी देवी और छत्तीसगढ़ी में बिलाई माता कहा जाने लगा। इस मंदिर को प्रदेश की पांच शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।
मां विंध्यवासिनी की महिमा अपरंपार है सच्चे मन से की गई पूजा यहां व्यर्थ नहीं जाती। माता के मंदिर में आने से लोगों के दुख दूर हो जाते हैं। हर साल मां की महिमा बढ़ती ही जा रही है।
राजेंद्र चतुर्वेदी, पुजारी, मां विंध्यवासिनी मंदिर धमतरी।
मां विंध्यवासिनी के दर्शन मात्र से शांति की अनुभूति होती है। मां सब पर कृपा बरसाती हैं। चैत्र और क्वांर नवरात्र में यहां भक्तों की भीड़ जुटती है।
आनंद पवार, अध्यक्ष, मां विंध्यवासिनी मंदिर ट्रस्ट धमतरी