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विधायक सचिन बिरला ने इंदिरा सागर की नहरों में पानी छोड़ने व कपास बीज विक्रय की करी मांग 

सुनील पटल्या बैडिया । विधायक सचिन बिरला ने कृषि मंत्री को पत्र लिख कर खरगोन जिले में कपास बीज के विक्रय की अनुमति तथा इंदिरा सागर परियोजना के मुख्य अभियंता से नहरों में पानी छोड़ने की मांग की है। बिरला ने कृषि मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि खरगोन जिले के कपास उत्पादक किसान प्रतिवर्ष गर्मी का कपास बीज अपने खेतों में लगाते हैं । किंतु इस वर्ष कोरोना आपदा के कारण किसान कपास की बोवनी नहीं कर पाए हैं। कपास खरगोन जिले के किसानों की नगदी फसल है। चूंकि मप्र में कपास बीज का उत्पादन मांग की तुलना में अत्यंत अल्प है। इसलिए अन्य राज्यों की कपास बीज कंपनियों के माध्यम से मप्र के किसानों को कपास का बीज मिलता है। किंतु अभी तक मप्र में अन्य राज्यों की कपास बीज कंपनियों को कपास बीज विक्रय की अनुमति नहीं दी गई है। इस कारण कपास की बोनी में अनावश्यक विलंब हो रहा है। कपास की बोनी में विलंब होने के कारण अगली रबी की फसलों की बोनी में भी विलंब होगा। इस स्थिति में किसानों की कठिनाइयां और अधिक बढ़ जाएंगी। इसलिए अन्य राज्यों की कपास बीज कंपनियों को मप्र में कपास बीज की आपूर्ति व विक्रय की तत्काल अनुमति दी जाए।

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नहरों  में पानी छोड़ा जाए –बिरला ने इंदिरा सागर परियोजना के मुख्य अभियंता को पत्र लिख कर नहरों में तत्काल पानी छोड़ने की मांग की है। बिरला ने पत्र में कहा है कि प्रतिवर्ष ग्रीष्मकालीन फसलों की सिंचाई के लिए 15 से 25 अप्रैल के बीच नहरों में पानी छोड़ा दिया जाता है। किंतु इस वर्ष नहरों में अभी तक पानी नहीं छोड़ा गया है। बड़वाह,सनावद, बेड़िया और समस्त ग्रामीण क्षेत्र के किसान नहरों में पानी छोड़ने की पुरजोर मांग कर रहे हैं। ताकि ग्रीष्मकालीन फसलों की सिंचाई की जा सके। इसके अलावा  नहरों में पानी आने से क्षेत्र के कुओं, बावड़ियों तथा अन्य जल स्त्रोतों में पानी का स्तर बढ़ता है जो साल भर तक पेयजल के काम आता है। इसी से पशु-पक्षियों को भी पानी मिलता है। इसलिए नहरों में तत्काल पानी छोड़ा जाए ।