मकड़ाई समाचार नर्मदापुरम। शासकीय नर्मदा महाविद्यालय में आज रंगाई छपाई प्रशिक्षण का दूसरा दिन रहा। विद्यार्थियों ने चुटकी, एब्स्ट्रेक्ट , कॉइन , बांधनी कला सीखी ।इसमें कपड़े को कई स्तरों पर मोड़ना, बांधना और रंगना शामिल है। प्राचार्य ओ. एन. चौबे ने विद्यार्थियों से कहा कि वर्तमान समय फ्यूजन का है जिसमें पुराना फैशन नए स्वरूप में वापस दिखाई देता है किंतु बांधनी कला हमेशा से अपना एक स्थान और महत्व रखती है। इसमें ज्यामितीय, मानवीय, पशुओं तथा फूलों की आकृतियों को ज्यादा शामिल किया जाता है। पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ हंसा व्यास ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि बांधनी कला की जन्मभूमि गुजरात और राजस्थान है। यह पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इन राज्यों में बेहतरीन तकनीक और खूबसूरत रंग संयोजन के द्वारा इसे निर्मित किया जाता है और पूरे विश्व में इसका निर्यात होता है। यह कला बुटीक और फैशन डिजाइन का मार्ग प्रशस्त करती है। प्रशिक्षिका सुश्री चित्रा और श्वेता साहू ने बताया कि बंधेज कपड़े की छोटी छोटी गांठ बांधकर रंगाई का तरीका है। रेशमी अथवा सूती कपड़े के भागों को रंग के बर्तन में डालने के पूर्व इसे कसकर बांध दिया जाता है। बाद में धागे खोले जाने पर बंधे हुए भाग रंगहीन रह जाते हैं और सुंदर आकृति हमें प्राप्त हो जाती है। कार्यशाला में डॉ अंजना यादव ने बताया कि चुन्नी ,साफे, कुर्ते ,साड़ी के साथ लहंगा , डिजाइनर शर्ट, टॉप इतना ही नहीं इन परंपरागत कला की टाई का भी बड़ा क्रेज है। इसे विद्यार्थियों के साथ-साथ प्राध्यापक भी सीख रहे हैं। डॉ आलोक मित्रा के मार्गदर्शन में कार्यशाला व्यवस्थित रूप से आयोजित की जा रही है ।डॉ. कुमुदिनी गार्गव , मनीष परिहार , जुगल किशोर, विनीता , भाग्यश्री गुप्ता, संजय मालवीय, मुस्कान आदि विद्यार्थी कार्यशाला में उपस्थित रहे।
ब्रेकिंग