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सौ साल पुराना है मां चंडी का ये अनोखा मंदिर, जहां भक्‍त बनकर आते हैं भालू और आरती में होते हैं शामिल

मान्यता है कि यहां स्थित मां चंडी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई हैं

बागबाहरा। छत्‍तीसगढ़ के महासमुंद जिले के घुंचापाली के पहाडि़यों पर चंडी माता का मंदिर कभी तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध था। बाद में यहां प्रसाद खाने के लिए भालूओं के आने कारण ख्यात हो गया। प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्य के बीच वनाच्छादित पहाड़ी पर स्थित मां चंडी मंदिर करीब डेढ सौ साल पुराना है।

मंदिर में सिर्फ भक्त ही नहीं भालू भी आने लगे हैं। यहां मादा भालू के साथ अठखेलियां करते भालू के बधाों को आसानी से देखा जा सकता है। वहीं, नर भालुओं के साथ भी लोगों को कोई डर नहीं लगता है। यहां कोई भालुओं को प्रसाद खिलाने की कोशिश करता है तो कोई ठंडा पिलाने की है।

भालू के साथ मोबाइल में सेल्फी लेने के लिए लोग उनके नजदीक जाने से भी नहीं डर रहे हैं। पिछले आठ 10 सालों से भालुओं का परिवार यहां आरती के समय आ रहा है। ये भालू न केवल आरती में शामिल होते हैं बल्कि मंदिर के गर्भ ग्रह तक जाते हैं और माता का प्रसाद भी ग्रहण करते हैं। भालुओं का यहां आना माता की शक्ति और चमत्कार माना जाता है।

लगभग दो किलोमीटर में फैले पहाड़ी श्रृंखला के दक्षिण भाग में क्षेत्र का सबसे बड़ा जलाशय, बांध, पश्चिम दिशा की ओर हरनादादर बांध, जंगल, घाटियां और चंड़ी बांध विशेष रूप से लोगों को आकर्षित करते हैंं। मंदिर मार्ग पर पहाड़ी के तलहटी में पांच फुट चौडा एवं आठ फुट गहरा एक छोटा सा कुआं है जो गर्मी के दिनों में भी पानी से लबालब भरा रहता है। चंड़ी मंदिर केठीक बायीं ओर वृक्ष केनीचे विशाल नगाड़ा रूपी पत्थर आजू-बाजू प्राकृतिक रूप से अवस्थित है। जिसे देखने से ऐसा लगता है कि मानो आदि-अनादिकाल से माता के दरबार में बजने वाला नगाड़ा रखा हो।

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मंदिर का इतिहास

मां चंडी यह मंदिर करीब डेढ सौ साल पुराना है। मान्यता है कि यहां स्थित मां चंडी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई हैं। प्राकतिक रूप से साढे 23 फुट ऊंची दक्षिण मुखी इस प्रतिमा का शास्त्रांे केअनुसार अपना एक विशेष महत्व है। गोड़ बाहुल्य और ओडिशा भाषीय क्षेत्र में स्थित यह तंत्र साधना केलिए महत्वपूर्ण स्थल था। साधकों के लिए गुप्त स्थल माना जाता था और तंत्रोक्त प्रसिद्ध शक्ति पीठ केनाम से प्रचलित था। 1950-51 से यहां वैदिक रीति से पूजा पाठ चालू हुआ। अब यहां दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।

ऐसे पहुंचे यहां

सड़क : पहाड़ी केऊपर स्थित है मां चंडी का मंदिर जिला महासमुंद से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर तक जाने के मार्गसड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।

ट्रेन : बागबाहरा रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी चार है।

विमान : निकटतम हवाई अड्डा रायपुर का स्वामी विवेकानंद विमानतल है, जो घरेलू उड़ानों से जुड़ा है।