ग्रामीणों ने महाराष्ट्र के पंढरपूर तीर्थ से पैदल लेकर आऐ थे ज्योत
164 वर्ष पुराना है गुरू दरबार का इतिहास, दीपावली पर होगा प्रसिद्ध अन्नकूट कार्यक्रम
राजेश मेहता खिरकिया हरदा जिले खिरकिया तहसील के एक गांव जिसे द्वितीय पंढरपुर ग्राम के नाम से समूचे प्रदेश मे विख्यात ग्राम कुड़ावा में दीपावली पर्व पर खासा उत्साह रहता है। दीपावली के दूसरे दिन गांव मे होने वाला अन्नकूट महोत्सव न सिर्फ अद्वितीय होता है, बल्कि हजारो श्रृद्धालुओ की आस्था का केन्द्र होता है। इस वर्ष भी दीपावली पर्व के दौरान कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिसमे समूचे देश के कोने से श्रृद्धालु पहुंचेंगे। जानकारी के अनुसार दीपावली के अगले दिन प्रतिवर्ष यहां पर आयोजित किऐं जाने वाला अन्नकूट महोत्सव अनूठा और श्रृद्धा को बढ़ावा देने वाला है। इस वर्ष 26 अक्टूबर बुधवार को अन्नकूट महोत्सव मनाया जायेग । गुरूगादी स्थल पर अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान स्वयं गौलोक से पधारे थे और अभी भी अन्नकूट महोत्सव में शामिल होते है। खास बात यह है कि इस दिन एक ऐसा व्यक्ति अन्नकूट में शामिल होता है, जिसे कोई भी नही जानता पहचानता है। जिससे भगवान के साक्षात रूप मे इस अन्नकूट मे शामिल होने की बात ग्रामीणो द्वारा कही जाती है। कुडावा के द्वितीय पंढरपूर स्थान गुरूगादी का इतिहास करीब 163 वर्ष पुराना है।
107 वर्षो मे कभी नही बुझी अखंड ज्योत
महाराष्ट्र प्रांत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पंढरपुर से लायी गई अखंड ज्योत पिछले 106 वर्षो से ग्राम में सतत जल रही है, जो आज तक नही बूझी है। प्रतिवर्ष हजारों श्रृद्धालुओं का दर्शन करना आना यहां की आस्था देखते ही बनती है। पंढरपुर की तरह ही अब कुड़ावा भक्तों के लिए धार्मिक स्थल बन गया है। यहां स्थापित गुरूगादी दरबार पूरे भारत में द्वितीय पंढरपुर के नाम से अपनी पहचान बना चुका है। स्थान के पहले कृष्णानंदजी महाराज को वर्ष 1915 में पंढरपुर के भगवान पंढरीनाथ ने यह अखंड ज्योत जलाकर सौंपी थी। जिसे उन्होने पंढरपुर से पैदल यात्रा कर स्थापित की तब से ही यह अखंड ज्योत एक जैसी प्रज्जवलित है। वर्तमान में ग्रामीणो के सहयोग से यहां कार्यक्रम आते रहे है। गुरूगादी दरबार ने राम नाम सप्ताह, भागवत कथा सहित अनेक कार्यक्रम वर्ष में होते रहते है। यहीं महाराज कृष्णनंद को भगवान द्वारा उपहार स्वरूप दी गई भगवान भोले का शिवलिंग भी यहां स्थापित है, जो लगभग 150 वर्ष से भी पुराना है। कृष्णानंदजी महाराज के बाद इस गुरूगादी के दूसरे महाराज कन्हैयालाल जी, तीसरे जगन्नाथ महाराज, चौथे नानूराम महाराज, पांचवे बालकृष्ण महाराज, छटवें रामकृष्ण महाराज एवं सातवें व वर्तमान में गोपालकृष्ण महाराज गुरूगादी संभाल रहे है। इस तरह इनकी यह पंाचवी पीढी इस गुरूगादी को सुशोभित कर रही है।
कृष्णनंद जी महाराज ने अपने हाथ से कई साहित्यों की रचना की है। उनके हाथों से लिखी भागवतजी, रंकनाथ पदावली की रचना की। इन्होने भागवत हिन्दी व मराठी भाषाओं में लिखें। उन्होने काव्य पद उर्दु, राजस्थानी, गुजराती, मारवाड़ी, निमाड़ी, संस्कृत, भुआणी, फारसी जैसी कई क्षैत्रीय भाषाओं में रचना की। हस्तलिखित काव्यपाठ के 700 पद है। जो आज गुरूगादी कुड़ावा सहित क्षैत्रवासियों की ऐतिहासिक धरोहर है। उल्लेखनीय है कि गांव में स्थापित गुरूगादी की ओर से ग्रामीण द्वारा पचास साल के अंतराल से 1300 किमी की पद यात्रा करके अखंड ज्योत पंढरपुर ले जाई जाती है। अब स्थिति यह है कि अनेक जगहों के श्रृद्धालुओं कुड़ावा आकर भगवान पंढरीनाथ की अखंड ज्योती पंढरपुर के नाम से ले जाते है यह प्रचलन बढ़ता जा रहा है।
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चौधरी मोहन गुर्जर मध्यप्रदेश के ह्र्दयस्थल हरदा के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार है | आप सतत 15 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवायें देते आ रहे है। आपकी निष्पक्ष और निडर लेखनी को कई अवसरों पर सराहा गया है |
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