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हरदा में 5  साल में यातायात विभाग ने निकाली 72 काली फ़िल्म !

प्रदेश ब्यूरो मध्यप्रदेश

भोपाल /हरदा  जी हां। यतायात विभाग की कार्रवाई का ये आलम है कि 5 साल यानी 1825 दिन में  कुल 72 फ़िल्म  ही निकल सकी हैं।  इसमे भी  वर्ष 2019 और 2020 में एक भी काली फ़िल्म नहीं निकलीं।  वर्ष 2021में जहां 26 काली फ़िल्म निकालीं गयी , वहीं वर्ष 2022 में सबसे ज़्यादह 31 फ़िल्म निकाली गईं। चालू वर्ष में चालू माह तक कि गयी कार्रवाई में सिर्फ 15 फ़िल्म ही विभाग निकाल पाया है।

उक्त जानकारी यातायात विभाग के कार्यालय से  अभी हाल ही में ली गई। हालाकि विभाग ने चुनाव को देखते हुए काली फिल्म  लगे वाहनों पर कार्यवाही के दिशा निर्देश दिए है।

इन फिल्मों को निकालकर कितना जुर्माना किया गया ये जानकारी विभाग से उपलब्ध न हो पाई।

ब्लेक फिल्म वाहन कार्रवाई

वर्ष – 2019   :  00

वर्ष 2020    :   00

वर्ष  2021    :   26

वर्ष 2022    :    31

वर्ष  2023    :   15

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इस लिहाज से 3 साल में  कुल 72 फिल्में निकालने की कार्रवाई की गई।  ये आंकड़े बताते हैं कि विभाग कार्रवाई को लेकर कितना मुस्तैद है।  आखिर क्या वजह है कि पब्लिक में खुलेआम घूमती महंगी वीआईपी गाड़ियां व अन्य वाहन की काली फिल्में विभाग को नज़र नहीं आती। ये आंकड़े भी विभाग के कार्रवाई करने के नज़रिए को दर्शाते हैं।

विभाग से मिले ये आंकड़े चौकाने वाले हैं। जबकि माननीय न्यायालय के स्पष्ठ निर्देश हैं कि कोई भी वाहन फ़िल्म से युक्त न हो।  वाहन के अंदर नियमानुसार विजिबिलिटी बनी रहे।

हालात ये हैं कि अभी भी शहर में काली फ़िल्म वाली गाड़ियां नियम विरुद्ध तरीके से चल रही हैं। नियम अनुसार विजिबिलिटी का मापदंड पूरा नहीं हो रहा है।  विभाग शहर से बाहर ग्रामीणों की  रुचिकर चालानी कार्रवाई में मशगूल है।

मालूम हो, लग्जरी वाहनों के शीशे पर काली फिल्म लगाना फैशन हो गया है। वीआइपी से लेकर अन्य लोगों तक के लग्जरी वाहन इस तरह की फिल्मों से अछूते नहीें। काली फिल्म लगने से वाहन के भीतर क्या हो रहा है, देखा नहीं जा सकता। अंदर असलहे हैं या कुछ और, इसका पता नहीं चलता। निर्भया कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गाडि़यों में काली फिल्म व पर्दे पर सख्त रुख अख्तियार किया था। जिस बस में वारदात हुई थी, उसमें पर्दे लगे थे।

शहर में अभी भी पटाखे की आवाज़ निकलने वाले सायलेंसर युक्त वाहन,  निजी गाड़ियों में अनाधिकृत हूटर का उपयोग हो रहा है।  विभाग को इस पर कार्रवाई करना चाहिए।

वर्तमान  में चुनाव को देखते हुए विभाग को कार्रवाई को सहन स्तर पर अंजाम देना चाहिए जिससे निष्पक्ष चुनाव की निर्वाचन आयोग की मंशा पूरी हो सके।