मकड़ाई समाचार भोपाल। कोलार नगर पालिका को भोपाल नगर निगम में विलय के विरोध में जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका की सुनवाई शुक्रवार को हुई। हाईकोर्ट की युगलपीठ के जज जगदीश प्रसाद गुप्ता और संजय द्विवेदी ने मध्यप्रदेश शासन को इस विलय के संबंध में अपना पक्ष रखने के लिए 18 दिन का समय दिया है। यह समय शासन की ओर से महाअधिवक्ता द्वारा समय मांगे जाने पर दिया है। अगली पेशी 18 जनवरी को होगी, तब तक शासन को जवाब पेश करना होगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शांतनु सक्सेना और प्रशांत पाण्डेय ने विलय के विरोध में अपना पक्ष रखा। अधिवक्ता शांतनु सक्सेना ने बताया कि याचिका में नगरीय विकास विभाग मध्यप्रदेश शासन और कलेक्टर भोपाल को पक्षकार बनाया गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता अमिताभ अग्निहोत्री ने बताया कि वर्ष 2005 में नोटिफिकेशन जारी कर कोलार नगर पालिका का गठन किया गया था। वर्ष 2006 में कलेक्टर भोपाल ने अपने जारी प्रतिवेदन आदेश में कोलार नगर पालिका का गठन कोलार क्षेत्र के विकास के लिए हितकर बताया था। वर्ष 2007 में कोलार नगर पालिका के द्वितीय कार्यकाल के चुनाव के लिए वार्ड आरक्षण, वार्ड परिसीमन, मतदाता सूची तैयार कर दी गई थी। चुनाव के 15 दिन पहले भाजपा शासन के मंत्री के लिखित पत्र के दबाव में कोलार नगर पालिका के चुनाव स्थगित किए गए। कोलार नगर पालिका के भोपाल नगर निगम में विलय के लिए जारी नोटिफिकेशन 6 सितंबर 2014 एवं 20 नवंबर 2014 के नोटिफिकेशन को दोषपूर्ण मानते हुए निरस्त करने की मांग की गई थी। यही नहीं 9 दिसंबर 2020 को मध्यप्रदेश शासन द्वारा किए गए महापौर आरक्षण प्रक्रिया को भी निरस्त करने की मांग की गई है। इन सभी नोटिफिकेशनों के आधार पर आपत्तियां भी प्रस्तुत की गई, लेकिन शासन ने सभी आपत्तियों की सुनवाई किए बिना ही आगे की कार्रवाई की गई। याचिका में वार्ड आरक्षण और महापौर आरक्षण प्रक्रिया को निरस्त रखे जाने की मांग की गई है।