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हार्ट अटैक या स्ट्रोक से बचना है हो तो रात में सोना होगा समय पर 9 से 11 के बीच

हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा घटाना है तो रात में 10 से 11 बजे के बीच सो जाइए। वैज्ञानिक इस समय को ‘गोल्डन आवर’ कहते हैं, उनका मानना है इंसान के सोने का समय और दिल की बीमारियों के बीच एक कनेक्शन पाया गया है। खासकर महिलाओं में जो देर से सोती हैं। यह दावा इंग्लैंड की एक्सेटर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है। शोधकर्ताओं का कहना है, अगर आप आधी रात में या काफी देर से सोने के लिए जाते हैं तो हार्ट डैमेज हो सकता है।

इंसान की नींद और दिल की बीमारी के बीच है ये कनेक्शन
शोधकर्ताओं का कहना है, इंसान की नींद और दिल की बीमारी के बीच एक कनेक्शन है। जो लोग देरी से सोते हैं वो सुबह देरी से उठते हैं, उनकी बॉडी क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है। हार्ट पर बुरा असर पड़ता है। इस तरह रात में जल्दी सोकर दिल की बीमारियों का खतरा कम कर सकते हैं।

88 हजार लोगों पर हुई रीसर्च

• शोधकर्ताओं का कहना है, हमनें 43 से 74 साल के बीच के 88 हजार ब्रिटिश वयस्कों पर रिसर्च की। रिसर्च में शामिल लोगों के हाथ में ट्रैकर पहनाया गया।

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• ट्रैकर के जरिए उनके सोने और उठने की एक्टिविटी को मॉनिटर किया गया। इसके अलावा उनसे लाइफस्टाइल से जुड़े सवाल-जवाब भी किए गए।

• ऐसे लोगों में 5 साल तक हार्ट डिजीज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर का मेडिकल रिकॉर्ड रखा गया और इसकी तुलना की गई।

क्या कहते हैं रिसर्च के परिणाम
रिसर्च के रिजल्ट बताते हैं कि जिन मरीजों में हर रात 10 से 11 बजे के बीच नींद लेना शुरू किया उनमें हृदय रोग के मामले सबसे कम थे। वहीं, जो लोग आधी रात के बाद सोते हैं, उनमें यह खतरा 25 फीसदी तक अधिक होता है।

बॉडीक्लॉक को बिगड़ने से रोकती है नींद

यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश रिसर्च कहती है, हम लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि जल्दी सोकर दिल की बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है। शोधकर्ता डॉ. डेविड प्लान्स कहते हैं, 24 घंटे चलने वाली शरीर की अंदरूनी घड़ी ही हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है। इसे सरकेडियन रिदम कहते हैं। देर से सोने पर सरकेडियन रिदम बिगड़ती है। इसलिए इसे बेहतर करने की जरूरत है।